नई दिल्ली: अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ ने भारतीय निर्यातकों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। मई से अक्टूबर 2025 के बीच, अमेरिका को होने वाले भारतीय निर्यात में 28.5% की भारी गिरावट दर्ज की गई है। थिंक-टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह गिरावट 8.83 बिलियन डॉलर से घटकर मात्र 6.31 बिलियन डॉलर रह गई है।
यह टैरिफ नीति, जिसकी शुरुआत 2 अप्रैल को 10% बेसलाइन टैरिफ से हुई थी, 7 अगस्त को बढ़ाकर 25% कर दी गई और फिर अगस्त के अंत तक इसे दोगुना कर दिया गया। रूस से तेल की खरीद के कारण भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ पेनल्टी के रूप में लगाया गया। इन बढ़े हुए शुल्कों ने भारतीय उत्पादों को अमेरिकी बाजारों में महंगा बना दिया, जिससे उनकी मांग पर सीधा असर पड़ा।
टैरिफ का बढ़ता बोझ और निर्यात पर असर
अमेरिका भारत के लिए निर्यात का सबसे बड़ा बाजार है, और इस टैरिफ नीति का असर विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहा है। GTRI की रिपोर्ट बताती है कि इस टैरिफ का असर उन उत्पादों पर भी पड़ा है जो पहले टैरिफ-मुक्त थे। स्मार्टफोन, जो भारत से अमेरिका को बड़े पैमाने पर निर्यात किए जाते हैं, उनमें टैरिफ लगने के बाद 36% की गिरावट देखी गई। मई में जहां यह निर्यात 2.29 बिलियन डॉलर था, वहीं अक्टूबर तक यह घटकर 1.50 बिलियन डॉलर रह गया।
इसके अलावा, जेम्स और ज्वेलरी, सोलर पैनल, टेक्सटाइल, गारमेंट्स, केमिकल्स और सीफूड्स जैसे श्रम-गहन (लेबर-इंटेंसिव) उत्पादों का निर्यात भी मई से अक्टूबर के बीच 31.2% गिरकर 4.78 बिलियन डॉलर से 3.29 बिलियन डॉलर पर आ गया। मेटल्स और ऑटो पार्ट्स पर भी टैरिफ का नकारात्मक प्रभाव देखा गया। वैश्विक स्तर पर समान टैरिफ वाले उत्पादों जैसे आयरन, स्टील, एल्युमीनियम और कॉपर के निर्यात में भी 23.8% की गिरावट आई।
आर्थिक विकास दर ने चौंकाया
जहां एक ओर अमेरिकी टैरिफ ने निर्यात को प्रभावित किया, वहीं दूसरी तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 8.2% रही, जिसने सभी को चौंका दिया। निर्यात में आई गिरावट और अन्य आर्थिक चुनौतियों के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था की इस मजबूत वृद्धि दर ने विश्लेषकों को आश्चर्यचकित कर दिया। यह दर्शाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था बाहरी झटकों से निपटने में सक्षम है।
इस स्थिति से उबरने और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, भारत ने वैकल्पिक बाजारों की तलाश शुरू कर दी है। जेम्स और ज्वेलरी को हांगकांग, बेल्जियम और UAE जैसे देशों में भेजा जा रहा है, जबकि ऑटो पार्ट्स के लिए जर्मनी और थाईलैंड जैसे देशों से मांग आ रही है। इसके अतिरिक्त, वस्तु एवं सेवा कर (GST) सुधारों ने घरेलू स्तर पर मांग को बढ़ाया है, जिससे विनिर्माण क्षेत्र को गति मिली है। सेवा क्षेत्र में भी मजबूती देखी गई है, जिसने कुल मिलाकर भारतीय अर्थव्यवस्था को एक महत्वपूर्ण बढ़ावा दिया है।








