आधी रात को अगर कोई आपका दरवाज़ा खटखटाए और खून का सैंपल मांगे तो घबराइएगा नहीं. ये स्वास्थ्य विभाग की टीम है, जो एक गंभीर बीमारी को जड़ से मिटाने के बड़े मिशन पर निकली है. जानिए क्या है ये बीमारी और क्यों इसके लिए रात के अंधेरे में ही सर्वे करना पड़ रहा है.
पूर्णिया जिले के भवानीपुर में फाइलेरिया या हाथीपांव जैसी गंभीर बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने एक बड़ा अभियान छेड़ दिया है. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) के नेतृत्व में पूरे प्रखंड में ‘नाइट ब्लड सर्वे’ यानी रात्रि रक्त नमूना संग्रह अभियान की शुरुआत की गई है. इस अभियान का एकमात्र लक्ष्य प्रखंड को फाइलेरिया मुक्त बनाना है.
स्वास्थ्य विभाग की टीमें इस विशेष अभियान के तहत घर-घर जाकर लोगों के रक्त के नमूने इकट्ठा कर रही हैं. यह अभियान पूरी तरह से निःशुल्क है और इसका उद्देश्य बीमारी के फैलाव का सटीक आकलन करना और संक्रमित लोगों की पहचान कर उनका समय पर इलाज शुरू करना है.
क्यों रात में ही लिया जा रहा है खून का सैंपल?
अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि इस सर्वे के लिए रात का समय ही क्यों चुना गया है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, फाइलेरिया रोग ‘वुचेरेरिया बैंक्रॉफ्टी’ नामक परजीवी के कारण होता है. यह परजीवी रात के समय ही शरीर के बाहरी रक्त प्रवाह में सक्रिय होता है, जिससे इसकी पहचान करना आसान हो जाता है.
- बीमारी का कारण: क्यूलेक्स मच्छर के काटने से यह परजीवी मनुष्य के शरीर में प्रवेश करता है.
- सक्रियता का समय: फाइलेरिया के परजीवी (माइक्रोफाइलेरिया) रात 10 बजे से 2 बजे के बीच रक्त में सबसे अधिक सक्रिय होते हैं.
- जांच की प्रक्रिया: इसी कारण, सटीक जांच के लिए स्वास्थ्यकर्मी रात में ही ब्लड सैंपल लेते हैं, ताकि परजीवी की मौजूदगी का पता लगाया जा सके.
घर-घर पहुंचेगी स्वास्थ्य टीम
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) भवानीपुर ने इस अभियान को सफल बनाने के लिए पूरी तैयारी कर ली है. प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों और लैब टेक्नीशियनों की कई टीमें बनाई गई हैं, जो देर रात तक अलग-अलग गांवों और वार्डों में जाकर लोगों के रक्त के नमूने लेंगी. इन टीमों को आवश्यक मेडिकल किट और उपकरण मुहैया कराए गए हैं.
यह अभियान सरकार के राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसका उद्देश्य 2027 तक देश से इस बीमारी को पूरी तरह खत्म करना है. सर्वे के दौरान जिन लोगों में संक्रमण की पुष्टि होगी, उन्हें स्वास्थ्य विभाग द्वारा मुफ्त इलाज और दवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी.
अधिकारियों ने की सहयोग की अपील
सीएचसी के अधिकारियों ने प्रखंड के सभी निवासियों से इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने और स्वास्थ्यकर्मियों का सहयोग करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि यह बीमारी लाइलाज नहीं है, लेकिन अगर समय पर इसकी पहचान और इलाज न हो तो यह विकलांगता का कारण बन सकती है. लोगों के सहयोग से ही इस बीमारी को जड़ से मिटाया जा सकता है और एक स्वस्थ समाज का निर्माण किया जा सकता है.








