मुजफ्फरपुर समाचार: बिहार में अन्नदाताओं के लिए एक बड़ी और राहत भरी खबर सामने आई है। अब सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के लिए अनाज की खरीद केवल राज्य के किसानों से ही की जाएगी। सरकार के इस कदम से न सिर्फ स्थानीय किसानों को सीधा लाभ मिलने की उम्मीद है, बल्कि कृषि अर्थव्यवस्था को भी नई मजबूती मिलने की संभावना है। यह फैसला किसानों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
राज्य सरकार द्वारा जारी निर्देश में स्पष्ट किया गया है कि खाद्यान्न खरीद एजेंसियां, विशेषकर राज्य खाद्य निगम, अब बिहार के भीतर के किसानों से ही धान और गेहूं जैसे अनाज की खरीद को प्राथमिकता देंगी। इस नीति का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाना और बिचौलियों की भूमिका को कम करना है। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सरकारी खरीद का सीधा लाभ वास्तविक किसानों तक पहुंचे।
स्थानीय किसानों को प्राथमिकता और आत्मनिर्भरता
इस नई नीति से बिहार के किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए एक विश्वसनीय और सुनिश्चित बाजार मिलेगा। पहले ऐसा होता था कि राज्य में पर्याप्त उत्पादन होने के बावजूद कई बार अनाज बाहर से खरीदा जाता था, जिससे स्थानीय किसानों को अपनी फसल कम दाम पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता था। अब इस निर्णय से किसानों को अपनी उपज की बेहतर कीमत मिलने की उम्मीद है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। यह कदम राज्य को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
किसानों का कहना है कि यह फैसला उन्हें बिचौलियों के चंगुल से मुक्ति दिलाएगा। मंडियों में अक्सर किसानों को अपनी फसल औने-पौने दामों पर बेचनी पड़ती है, लेकिन सरकारी खरीद से उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) या उससे बेहतर कीमत मिलने की संभावना बढ़ेगी। इससे कृषि कार्य में उनकी रुचि बढ़ेगी और वे अधिक उत्साह से खेती कर पाएंगे।
आय में वृद्धि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा
सरकार के इस कदम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने की उम्मीद है। जब किसानों को उनकी मेहनत का उचित फल मिलेगा, तो वे अपनी आय का एक हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में ही खर्च करेंगे, जिससे स्थानीय बाजारों और व्यवसायों को बढ़ावा मिलेगा। यह ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि लाने का एक प्रभावी तरीका माना जा रहा है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीति न केवल किसानों की क्रय शक्ति बढ़ाएगी, बल्कि राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) में कृषि क्षेत्र के योगदान को भी बढ़ाएगी।
इसके साथ ही, स्थानीय स्तर पर खरीद से परिवहन लागत में कमी आएगी और खाद्यान्न के भंडारण तथा वितरण प्रणाली में अधिक दक्षता आएगी। यह कदम सार्वजनिक वितरण प्रणाली को और अधिक सुदृढ़ बनाने में भी सहायक होगा, जिससे गरीबों और जरूरतमंदों तक समय पर और गुणवत्तापूर्ण अनाज पहुंच सुनिश्चित हो सके।
पारदर्शिता और प्रभावी निगरानी की चुनौती
हालांकि, इस नीति के सफल क्रियान्वयन के लिए पारदर्शिता और प्रभावी निगरानी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करना होगा कि केवल वास्तविक किसानों से ही खरीद हो और फर्जीवाड़े को रोका जा सके। सरकार को खरीद केंद्रों की संख्या बढ़ाने, भंडारण क्षमता में सुधार करने और भुगतान प्रक्रिया को सरल तथा तीव्र बनाने पर ध्यान देना होगा। किसानों तक समय पर भुगतान पहुंचना भी इस योजना की सफलता के लिए अनिवार्य है।
राज्य सरकार इस नीति को लेकर प्रतिबद्ध दिख रही है और उम्मीद है कि आने वाले समय में इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे। यह कदम बिहार के कृषि परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव ला सकता है और किसानों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।








