मुजफ्फरपुर न्यूज़: बिहार के मुजफ्फरपुर में खेती-किसानी की दुनिया में एक बड़ा बदलाव दस्तक दे रहा है। रासायनिक खादों और कीटनाशकों के जाल से निकलने का रास्ता अब किसानों को दिखाया जा रहा है। सवाल यह है कि क्या यह नई पहल अन्नदाताओं के भाग्य को बदल पाएगी और उन्हें एक नई दिशा दे पाएगी, जिसने कृषि विशेषज्ञों और किसानों के बीच गहरी उत्सुकता जगाई है?
हाल ही में मुजफ्फरपुर जिले के किसानों को प्राकृतिक खेती के सिद्धांतों और व्यवहारिक तकनीकों पर गहन प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य किसानों को रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों पर निर्भरता कम करके, पर्यावरण-अनुकूल और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रेरित करना है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल न केवल किसानों की लागत को कम करेगी, बल्कि मिट्टी के स्वास्थ्य और कृषि उत्पादों की गुणवत्ता में भी सुधार लाएगी।
प्राकृतिक खेती: एक नई उम्मीद
प्राकृतिक खेती, जिसे अक्सर शून्य-बजट प्राकृतिक खेती भी कहा जाता है, एक ऐसी कृषि पद्धति है जो पूरी तरह से प्रकृति पर आधारित है। इसमें किसी भी प्रकार के रासायनिक इनपुट जैसे उर्वरक, कीटनाशक या खरपतवारनाशक का उपयोग नहीं किया जाता। यह विधि मिट्टी के सूक्ष्मजीवों, स्थानीय बीजों और पानी के विवेकपूर्ण उपयोग पर केंद्रित है। इसके कई लाभ हैं:
- मिट्टी का स्वास्थ्य: रासायनिक मुक्त होने के कारण मिट्टी की उर्वरता और संरचना में सुधार होता है।
- पानी की बचत: मल्चिंग और अन्य तकनीकों के उपयोग से पानी की खपत कम होती है।
- किसानों की लागत में कमी: रासायनिक उत्पादों पर खर्च शून्य होने से किसानों की आय में वृद्धि होती है।
- स्वास्थ्यवर्धक उपज: उपभोक्ताओं को रसायन-मुक्त और पौष्टिक भोजन मिलता है।
- पर्यावरण संरक्षण: जैव विविधता बढ़ती है और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव कम होता है।
प्रशिक्षण में सिखाई गई प्रमुख बातें
प्रशिक्षण सत्रों के दौरान, कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को प्राकृतिक खेती की विभिन्न तकनीकों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इसमें मुख्य रूप से निम्नलिखित बिंदुओं पर जोर दिया गया:
- जीवामृत और बीजामृत बनाना: फसलों के लिए प्राकृतिक पोषक तत्व और बीज उपचार तैयार करने की विधि।
- आच्छादन (मल्चिंग): मिट्टी की नमी बनाए रखने और खरपतवार नियंत्रण के लिए फसलों के अवशेषों का उपयोग।
- फसल चक्र: मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने और कीटों व बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए फसलों को बारी-बारी से बोना।
- जैविक कीट नियंत्रण: रासायनिक कीटनाशकों के बजाय प्राकृतिक तरीकों से कीटों का प्रबंधन।
भविष्य की राह
मुजफ्फरपुर में प्राकृतिक खेती के इस प्रशिक्षण को कृषि क्षेत्र में एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है। यह किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निपटने में मदद कर सकता है। हालांकि, इस पहल की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि कितने किसान इन तकनीकों को अपनाते हैं और सरकार तथा कृषि विभाग उन्हें कितना सहयोग प्रदान करते हैं। उम्मीद है कि यह प्रशिक्षण जिले की कृषि तस्वीर को बदलने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और एक स्वस्थ व टिकाऊ भविष्य की नींव रखेगा।








