मुजफ्फरपुर न्यूज़: जलप्रलय की त्रासदी झेल चुके बाढ़ पीड़ितों का धैर्य अब जवाब दे रहा है। वर्षों से लंबित मुआवजे की मांग को लेकर, प्रभावितों ने अब सड़क पर उतरकर एक बड़ा कदम उठाया है, जिसने प्रशासन की नींद उड़ा दी है।
बिहार का मुजफ्फरपुर क्षेत्र हर साल मॉनसून के दौरान भीषण बाढ़ का सामना करता है। नदियों का जलस्तर बढ़ने से हजारों घर, खेत और स्थानीय लोगों की आजीविका तबाह हो जाती है। इन प्राकृतिक आपदाओं के बाद, सरकार द्वारा पीड़ितों को राहत और मुआवजे का आश्वासन दिया जाता है, ताकि वे अपने जीवन को फिर से पटरी पर ला सकें। हालांकि, कई बार ये आश्वासन केवल कागजों तक ही सीमित रह जाते हैं, जिससे प्रभावितों में निराशा बढ़ती है।
इस साल की बाढ़ ने भी मुजफ्फरपुर में भारी तबाही मचाई थी, जिसके निशान आज भी कई गांवों में देखे जा सकते हैं। जिन लोगों ने अपना सब कुछ खो दिया, वे अब तक सरकारी मदद और मुआवजे की उम्मीद लगाए बैठे थे। लेकिन जब प्रशासनिक स्तर पर लंबे इंतजार के बाद भी उचित कदम नहीं उठाए गए, तो प्रभावितों ने अब विरोध का रास्ता अपनाया है।
मुआवजे की आस में अनशन
लंबे इंतजार और लगातार गुहार के बावजूद, जब बाढ़ पीड़ितों को उनका वाजिब हक नहीं मिला, तो उन्होंने अनशन शुरू कर दिया है। यह अनशन उन हजारों परिवारों की पीड़ा का प्रतीक बन गया है, जो आज भी अपने घरों और खेतों के नुकसान की भरपाई का इंतजार कर रहे हैं। अनशनकारी स्पष्ट रूप से सरकार और स्थानीय प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द सर्वेक्षण कराकर पात्र लाभार्थियों को मुआवजा राशि वितरित की जाए।
बाढ़ से प्रभावित लोगों का कहना है कि उन्हें न तो पर्याप्त राहत सामग्री मिली और न ही क्षतिग्रस्त फसलों और मकानों के लिए मुआवजा। ऐसे में, उनके पास अपनी आवाज प्रशासन तक पहुंचाने के लिए अनशन के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा था। उनकी मुख्य मांग है कि सभी पात्र पीड़ितों को निर्धारित नियमों के अनुसार तुरंत आर्थिक सहायता प्रदान की जाए, ताकि वे अपने टूटे हुए जीवन को दोबारा संवार सकें।
प्रशासन पर बढ़ता दबाव और आगे की राह
इस अनशन के कारण स्थानीय प्रशासन पर दबाव बढ़ता जा रहा है। अधिकारियों को उम्मीद है कि वे जल्द ही अनशनकारियों से बातचीत कर इसका समाधान निकाल लेंगे। हालांकि, प्रभावितों का कहना है कि जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता, तब तक वे अपना विरोध जारी रखेंगे। यह स्थिति प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है, क्योंकि बाढ़ पीड़ितों की अनदेखी से जनता में असंतोष पनप सकता है और कानून-व्यवस्था की स्थिति भी बिगड़ सकती है।
सरकार को इस गंभीर मुद्दे पर तुरंत ध्यान देने और बाढ़ पीड़ितों को न्याय सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। केवल मुआवजे के वितरण से ही नहीं, बल्कि भविष्य में ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए एक स्थायी रणनीति बनाना भी महत्वपूर्ण है, ताकि हर साल मुजफ्फरपुर के लोग इस तरह की समस्याओं से न जूझें और उन्हें बार-बार सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर न होना पड़े।








