मुजफ्फरपुर न्यूज़: गायघाट प्रखंड मुख्यालय परिसर में मंगलवार को उस समय गहमागहमी बढ़ गई, जब काँटा पिरौछा दक्षिणी पंचायत के सैकड़ों ग्रामीणों ने अपनी चार सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरना और भूख हड़ताल शुरू कर दी। डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर शुरू हुए इस आंदोलन में बड़ी संख्या में महिलाएँ भी शामिल हैं। प्रशासन की लगातार अनदेखी से त्रस्त ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक उनका यह संघर्ष जारी रहेगा।
पंचायत समिति सदस्य रीना देवी के नेतृत्व में शुरू हुए इस विरोध प्रदर्शन के दौरान ग्रामीणों ने प्रखंड प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। रीना देवी ने बताया कि पिछली बाढ़ की विभीषिका के दौरान प्रशासन का रवैया पूरी तरह गैर-जिम्मेदाराना रहा। जब लोग दाने-दाने को मोहताज थे, तब अंचल और प्रखंड प्रशासन ने किचन शेड तक नहीं चलाए। उन्होंने आरोप लगाया कि जीआर (अनुग्रह राशि) हो या अन्य कोई राहत कार्य, प्रशासन ने सिर्फ टालमटोल की नीति अपनाई। जब अंचलाधिकारी से संपर्क किया गया, तो आचार संहिता का बहाना बनाया गया, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण था।
ग्रामीणों का दावा है कि बाढ़ और फसल क्षति से प्रभावित परिवारों को आज तक सरकारी स्तर पर कोई राहत नहीं मिली है। उनकी समस्याओं को लेकर कई बार अधिकारियों को आवेदन सौंपे गए, लेकिन हर बार केवल आश्वासन ही मिला और कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। प्रशासन की इसी उपेक्षा और उदासीनता से नाराज़ होकर अब ग्रामीणों ने प्रखंड मुख्यालय पर ही धरना-भूख हड़ताल शुरू करने का फैसला लिया है।
ग्रामीणों की 4 प्रमुख मांगें
- बाढ़ प्रभावित परिवारों को तत्काल आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाए।
- बाढ़ प्रभावित किसानों को उनकी फसल क्षति का उचित मुआवजा दिया जाए।
- राजस्व कर्मचारी सप्ताह में कम से कम दो दिन ग्राम कचहरी भवन, काँटा में नियमित रूप से बैठकर जनता की समस्याओं का समाधान करें।
- काँटा उप-स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर, नर्स और सभी जरूरी दवाइयाँ तत्काल उपलब्ध कराई जाएँ, ताकि ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल सके।
धरना स्थल पर मौजूद महिलाओं ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए बताया कि ग्राम कचहरी भवन और उप-स्वास्थ्य केंद्र बनकर तैयार होने के बावजूद पिछले कई वर्षों से निष्क्रिय पड़े हैं। इन केंद्रों के चालू न होने से लोगों को छोटी-मोटी समस्याओं और इलाज के लिए भी प्रखंड कार्यालय और दूरदराज के अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ते हैं, जिससे उनका समय और पैसा दोनों बर्बाद होता है।
पंचायत समिति सदस्य रीना देवी ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि जब तक उनकी सभी मांगों पर प्रशासन द्वारा कोई स्पष्ट और सकारात्मक निर्णय नहीं लिया जाता, तब तक यह अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल जारी रहेगी। उन्होंने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा, “अब ग्रामीणों की सहनशीलता जवाब दे चुकी है। प्रशासन की अनदेखी ने हमें यह सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है।”




