मुजफ्फरपुर न्यूज़: पंचायत चुनाव 2026 की घोषणा होने में भले ही अभी समय हो, लेकिन राज्य के राजनीतिक गलियारों में एक बड़ी खबर ने सरगर्मी बढ़ा दी है। इस बार के चुनाव में कई मौजूदा ‘मुखिया जी’ अपनी किस्मत नहीं आजमा पाएंगे। आखिर क्या है वह अहम बदलाव जो कई पुराने चेहरों को चुनावी मैदान से बाहर कर सकता है?
आरक्षण चक्र में बड़ा बदलाव
बिहार में पंचायती राज व्यवस्था के तहत हर दो पंचायत चुनावों के बाद आरक्षण चक्र में बदलाव का नियम है। वर्ष 2016 और 2021 के पंचायत चुनाव एक ही आरक्षण चक्र के आधार पर हुए थे, लेकिन अब 2026 के चुनावों में यह चक्र पूरी तरह बदल जाएगा। इसका सीधा असर मौजूदा जनप्रतिनिधियों की उम्मीदवारी पर पड़ेगा।
उदाहरण के तौर पर, यदि 2021 में कोई पद अनारक्षित था, तो वह 2026 में आरक्षित श्रेणी में आ सकता है। इसी तरह, अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित सीटें सामान्य हो सकती हैं, और सामान्य सीटें आरक्षित हो सकती हैं। इसका मतलब है कि अगर कोई मुखिया 2021 में सामान्य सीट से चुनाव जीता था और 2026 में उसकी सीट पिछड़ा वर्ग या अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो जाती है, तो वह संबंधित आरक्षित श्रेणी से न होने के कारण चुनाव नहीं लड़ पाएगा। यह बदलाव कई मौजूदा मुखियाओं के लिए चुनौती बन गया है।
2021 पंचायत चुनाव में पदों की स्थिति
पिछले पंचायत चुनाव, यानी 2021 में, मुखिया के कुल 8,072 पद थे। इन पदों के लिए आरक्षण की विस्तृत जानकारी इस प्रकार थी:
- अनारक्षित पद: 5,268
- इनमें से महिलाओं के लिए आरक्षित: 2,483
- पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित पद: 1,357
- इनमें से महिलाओं के लिए आरक्षित: 543
- अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित पद: 1,338
- इनमें से महिलाओं के लिए आरक्षित: 539
- अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित पद: 91
- इनमें से महिलाओं के लिए आरक्षित: 20
- कुल महिला मुखिया पद आरक्षित: 3,585
2026 के लिए आरक्षण के नियम
आगामी 2026 के पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण के नियम भी स्पष्ट हैं, जो सीटों के आवंटन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे:
- जनसंख्या आधार पर आरक्षण: अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण का निर्धारण संबंधित क्षेत्र की जनसंख्या के अनुपात में किया जाएगा।
- 50% आरक्षण की सीमा: सभी श्रेणियों को मिलाकर कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।
- महिला आरक्षण: प्रत्येक श्रेणी में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत का आरक्षण अनिवार्य रूप से रहेगा।
- प्रखंड स्तर पर निर्धारण: मुखिया पद का आरक्षण एक प्रखंड की सभी पंचायतों की कुल जनसंख्या के आधार पर निर्धारित किया जाएगा, न कि केवल एक पंचायत की जनसंख्या पर।
इन नियमों के लागू होने के साथ, बिहार में पंचायत चुनाव 2026 में कई नए चेहरे देखने को मिल सकते हैं, जबकि कई पुराने और स्थापित नेता अनजाने में ही दौड़ से बाहर हो जाएंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह बदलाव राज्य की ग्रामीण राजनीति पर क्या प्रभाव डालता है।


