back to top
⮜ शहर चुनें
दिसम्बर, 12, 2025

2026: एक साल, तेरह महीने और ज्येष्ठ का दोहरा संयोग!

spot_img
spot_img
- Advertisement - Advertisement

साल 2026 हिंदू पंचांग के लिए एक बेहद खास और दुर्लभ वर्ष साबित होने वाला है। इस साल ज्येष्ठ माह दो बार आएगा, जिसके चलते पूरे बारह नहीं, बल्कि तेरह महीने का होगा यह अनोखा साल। आखिर क्यों जुड़ जाता है एक अतिरिक्त महीना और क्या है इस ‘अधिकमास’ का रहस्य?

- Advertisement - Advertisement

धार्मिक गणनाओं के अनुसार, वर्ष 2026 एक अद्भुत खगोलीय और कालचक्र के संतुलन का साक्षी बनेगा। हिंदू पंचांग में इस साल ज्येष्ठ का महीना दो बार पड़ने जा रहा है, जो इसे सामान्य 12 महीने के बजाय 13 महीनों का बना देगा। यह एक ऐसा दुर्लभ संयोग है, जो हर कुछ सालों में आता है और काल गणना में विशेष महत्व रखता है।

- Advertisement - Advertisement

क्या है अधिकमास और क्यों होती है इसकी आवश्यकता?

हिंदू धर्म में इस अतिरिक्त महीने को अधिकमास या पुरुषोत्तम मास के नाम से जाना जाता है। यह वह अवधि है, जब सूर्य और चंद्रमा की गति में उत्पन्न होने वाले असंतुलन को समायोजित किया जाता है। दरअसल, हिंदू पंचांग चंद्र मास पर आधारित होता है, जबकि सभी प्रमुख तीज-त्योहारों की गणना सूर्य की संक्रांति के अनुसार होती है।

- Advertisement -
यह भी पढ़ें:  Aaj Ka Panchang: 12 दिसंबर 2025 का शुभ-अशुभ मुहूर्त और दिशा शूल

चंद्र मास लगभग 29.5 दिनों का होता है, जबकि सौर वर्ष लगभग 365 दिनों का। इस अंतर के कारण हर चंद्र वर्ष सौर वर्ष से लगभग 11 दिन छोटा हो जाता है। यदि इस अंतर को समायोजित न किया जाए, तो कुछ वर्षों में त्योहारों की तिथियां और मौसम चक्र पूरी तरह से बेमेल हो जाएंगे। इसी असंतुलन को साधने और चंद्र व सौर गणनाओं में तालमेल बिठाने के लिए हर तीसरे वर्ष एक अतिरिक्त चंद्र मास जोड़ दिया जाता है, जिसे अधिकमास कहते हैं। यह एक प्रकार से कैलेंडर का ‘करेक्टिव मंथ’ होता है।

ज्येष्ठ के दोहरे आगमन का महत्व

वर्ष 2026 में विशेष रूप से ज्येष्ठ माह का दो बार आना इस घटना को और भी अधिक महत्वपूर्ण बनाता है। ज्येष्ठ माह अपने आप में धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से खास माना जाता है। ऐसे में इसका दोहराव पंचांग की गणनाओं की बारीकियों को दर्शाता है। यह दर्शाता है कि कैसे प्राचीन भारतीय ज्योतिष और खगोल विज्ञान ने समय के सूक्ष्म अंतरालों को समझा और उन्हें व्यवस्थित करने के लिए एक वैज्ञानिक प्रणाली विकसित की।

यह अतिरिक्त महीना सुनिश्चित करता है कि हिंदू त्योहार अपनी सही ऋतुओं में पड़ें और कालचक्र सुचारू रूप से चलता रहे। 2026 का यह 13 महीने का वर्ष, विशेषकर ज्येष्ठ माह के दोहरे संयोग के साथ, न केवल ज्योतिषीय गणनाओं की एक अनूठी मिसाल होगा, बल्कि यह धर्म और विज्ञान के प्राचीन समन्वय को भी रेखांकित करेगा।

- Advertisement -

जरूर पढ़ें

सीबीएसई 10वीं बोर्ड परीक्षा: छात्रों के लिए अहम CBSE 10th Board Exam News और उत्तर लेखन के नए नियम

CBSE 10th Board Exam News: बोर्ड परीक्षा का मैदान सज चुका है, और हर...

ऋचा चड्ढा ने खोली इंडस्ट्री की पोल, कहा- ‘मैं बिकाऊ नहीं हूं’!

Richa Chadha News: मां बनने के बाद जब ऋचा चड्ढा करीब दो साल बाद...

चीन में नौकरी: क्या भारतीय युवाओं के लिए ‘China Jobs’ हैं फायदे का सौदा?

China Jobs: विदेश में बेहतर करियर और शानदार वेतन की तलाश कर रहे भारतीय...

Arrah Murder: भोजपुर में सनसनीखेज काशी पासवान हत्याकांड का मुख्य आरोपित गिरफ्तार, पुलिस ने कसा शिकंजा

Arrah Murder: मलौर गांव पर मौत का साया अभी भी मंडरा रहा है, जहाँ...
error: कॉपी नहीं, शेयर करें