Bihar Land Dispute: बिहार की धरती पर दशकों से अनसुलझे जमीनी विवादों की गठरी अब और भारी होती जा रही है, मानो इंसाफ की तराजू खुद ही थक कर बैठ गई हो। जब शिकायतों का अंबार अदालत की दहलीज तक पहुंचे और फिर भी समस्या ज्यों की त्यों बनी रहे, तो सवाल व्यवस्था पर उठना लाजिमी है।
Bihar Land Dispute: बिहार में जमीनी विवाद सुलझाने को डिप्टी सीएम का बड़ा कदम, खाली पड़े पदों पर होगी चर्चा
Bihar Land Dispute: विवादों के निपटारे में बड़ी चुनौती
बिहार में जमीनी विवाद और म्यूटेशन के मामलों का अंबार लगा है। इसकी सबसे बड़ी वजह राजस्व विभाग में विशेषज्ञ अफसरों की भारी कमी मानी जा रही है। स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि उच्च न्यायालय की कड़ी फटकार के बावजूद इसमें कोई सुधार होता नहीं दिख रहा। अब राज्य सरकार ने इस गंभीर समस्या के समाधान की पहल पटना से ही करने का निर्णय लिया है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
राज्य में राजस्व विभाग के तहत डीसीएलआर (उप समाहर्ता भूमि सुधार) के कुल 101 पद खाली पड़े हैं। इन पदों पर योग्य अधिकारियों की कमी के कारण भू-विवादों से जुड़े मामले लंबित होते जा रहे हैं, जिससे आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इन लंबित मामलों के कारण केवल जनता ही नहीं, बल्कि सरकार के लिए भी यह एक बड़ी चुनौती बन गई है। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: https://deshajtimes.com/news/national/
आज उपमुख्यमंत्री इस संबंध में एक उच्च स्तरीय बैठक करने जा रहे हैं। इस बैठक में इन रिक्त पदों को भरने और जमीनी विवादों के त्वरित निपटारे के लिए प्रभावी रणनीतियों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। यह उम्मीद की जा रही है कि इस बैठक के बाद राज्य में भू-विवादों से निपटने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।
लंबित मामलों का बोझ और सरकार की रणनीति
विशेषज्ञों का मानना है कि केवल नए अधिकारियों की नियुक्ति ही पर्याप्त नहीं होगी, बल्कि उन्हें उचित प्रशिक्षण और आवश्यक संसाधनों से लैस करना भी महत्वपूर्ण है। कई बार जटिल भूमि कानूनों और प्रक्रियाओं की जानकारी का अभाव भी समस्याओं को बढ़ाता है। सरकार का लक्ष्य है कि भू-अभिलेखों का डिजिटलीकरण और पारदर्शिता लाकर इन विवादों की जड़ पर प्रहार किया जाए। यह समस्या केवल प्रशासनिक अक्षमता का ही परिणाम नहीं है, बल्कि यह दशकों पुरानी व्यवस्थागत खामियों का भी नतीजा है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
उपमुख्यमंत्री की बैठक में न केवल डीसीएलआर के रिक्त पदों को भरने पर जोर दिया जाएगा, बल्कि भू-अभिलेखों के आधुनिकीकरण और नागरिक-केंद्रित सेवाओं को बेहतर बनाने के उपायों पर भी गहन चर्चा होगी। यह आवश्यक है कि आम लोगों को जमीन संबंधी मामलों के लिए बार-बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर न लगाने पड़ें। इस पहल से उम्मीद है कि बिहार में जमीनी विवादों को सुलझाने में तेजी आएगी और लोगों को न्याय मिल पाएगा। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।



