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दिसम्बर, 14, 2025

ग्रामीण रोजगार: अब ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’, मिलेंगे 125 दिन काम और बढ़ी मजदूरी!

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Rural Employment: केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) में एक बड़ा बदलाव किया है, जिससे देश के लाखों ग्रामीण श्रमिकों को सीधा फायदा होगा। यह सिर्फ एक नाम परिवर्तन नहीं, बल्कि काम के दिनों और दैनिक मजदूरी में वृद्धि के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति देने का एक महत्वपूर्ण कदम है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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ग्रामीण रोजगार: अब ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’, मिलेंगे 125 दिन काम और बढ़ी मजदूरी!

‘ग्रामीण रोजगार’ योजना का नया नाम और बढ़े हुए लाभ

शुक्रवार, 12 दिसंबर 2025 को केंद्रीय कैबिनेट की महत्वपूर्ण बैठक में ग्रामीण रोजगार से जुड़ा एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MNREGA) का नाम अब बदलकर ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ कर दिया गया है। इस योजना के तहत काम के दिनों की संख्या को भी 100 से बढ़ाकर 125 दिन कर दिया गया है, जो ग्रामीण श्रमिकों के लिए एक बड़ी राहत है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्र सरकार ने न्यूनतम मजदूरी में भी संशोधन किया है, जिसे अब ₹240 प्रतिदिन कर दिया गया है। ये बदलाव ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सीधे तौर पर प्रभावित करेंगे और लाखों परिवारों की आय में वृद्धि करेंगे।

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यह योजना मूल रूप से 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA) के नाम से शुरू हुई थी। तत्कालीन सरकार ने बाद में इसमें संशोधन कर इसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) का नाम दिया, जिसे आमतौर पर मनरेगा के नाम से जाना जाता है। अब, केंद्र की वर्तमान भाजपा सरकार ने इसमें फिर से बदलाव करते हुए इसे ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ का नाम दिया है और काम के दिनों की संख्या में भी इजाफा किया है।

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योजना के सामाजिक और आर्थिक लाभ

‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ के तहत मुख्य रूप से श्रम आधारित कार्य कराए जाते हैं। इनमें ग्रामीण सड़कों का निर्माण, जल संरक्षण से संबंधित गतिविधियां, तालाबों की खुदाई, बागवानी और गांवों में सामुदायिक विकास के कई छोटे-बड़े कार्य शामिल हैं। इस योजना ने ग्रामीण इलाकों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है। गांव में ही काम मिलने से ग्रामीण परिवारों की आमदनी स्थिर हुई है, जिससे पलायन में कमी आई है। इस योजना ने महिलाओं की भागीदारी को भी काफी बढ़ाया है, जिससे वे आर्थिक रूप से सशक्त हुई हैं। सरकार के इस नवीनतम निर्णय से, जिसमें नाम बदलना और काम के दिनों को बढ़ाना शामिल है, ग्रामीण मजदूरों को सीधा और महत्वपूर्ण लाभ मिलेगा। मजदूरी बढ़ने से उनकी क्रय शक्ति में भी वृद्धि होगी, जिससे स्थानीय बाजारों में भी तेजी आने की उम्मीद है। रियल-टाइम बिजनेस – टेक्नोलॉजी खबरों के लिए यहां क्लिक करें: https://deshajtimes.com/news/business/ आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। ग्रामीण विकास के क्षेत्र में यह एक बड़ा कदम है।

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