MGNREGA Scheme: जब सरकारी योजनाओं के नाम बदलने की सियासत गरमाती है, तो जनता के पैसों के अपव्यय पर सवाल उठना स्वाभाविक है। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी कुछ ऐसे ही तेवर दिखाए हैं, जब खबरें आईं कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का नाम बदलने की तैयारी है।
MGNREGA Scheme पर प्रियंका गांधी का हमला: “अनावश्यक खर्च की क्या तुक?”
देश की सबसे बड़ी रोजगार गारंटी योजना, मनरेगा के नाम में बदलाव की खबरों पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने इसे सरकार के संसाधनों की बर्बादी और अनावश्यक प्रक्रिया करार दिया है। शनिवार को पत्रकारों से बात करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि उन्हें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA Scheme) का नाम बदलकर ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ रखने के पीछे का तर्क समझ नहीं आ रहा है। यह प्रक्रिया सिर्फ और सिर्फ अनावश्यक खर्च को बढ़ावा देगी।
प्रियंका गांधी ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “मुझे समझ नहीं आ रहा कि इसके पीछे क्या मानसिकता है। पहली बात तो यह महात्मा गांधी का नाम है, और जब इसे बदला जाता है, तो सरकार के संसाधन फिर से इस पर खर्च होते हैं। दफ्तरों से लेकर स्टेशनरी तक, सब कुछ का नाम बदलना पड़ता है, इसलिए यह एक बड़ी और खर्चीली प्रक्रिया है। तो इस अनावश्यक काम का क्या फायदा? मुझे समझ नहीं आ रहा।”
इस मुद्दे पर शिवसेना (यूबीटी) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने भी केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने मनरेगा के संभावित नाम परिवर्तन की खबरों पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे जनता का ध्यान भटकाने और गांधी परिवार के नाम का अपमान करने का एक तरीका बताया। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। चतुर्वेदी ने कहा कि लोगों की निराशा के कारण ऐसे फैसले लिए जा रहे हैं। यह ध्यान भटकाने का एक और तरीका है।
उन्होंने आगे कहा, “वंदे मातरम के 150 वर्षों की चर्चा ने जनता को यह समझने में मदद की है कि इतिहास का कौन सा संस्करण व्हाट्सएप संस्करण है और कौन सा वास्तविक है। इसीलिए व्हाट्सएप पर विश्वास करने वाले लोग गांधी परिवार से नाराज होंगे। जो लोग सच्चा इतिहास जानते हैं, वे गांधी परिवार के योगदान के लिए हमेशा उनका सम्मान करेंगे।”
यह रोजगार योजना, ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत संचालित होती है और ग्रामीण परिवारों को कम से कम 100 दिनों का गारंटीकृत मजदूरी रोजगार प्रदान करती है, यदि उनके वयस्क सदस्य अकुशल कार्य के लिए स्वेच्छा से आगे आते हैं। इस महत्वपूर्ण सरकारी योजना में बदलाव की अटकलें राजनीतिक गलियारों में गरमाहट पैदा कर रही हैं। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: https://deshajtimes.com/news/national/
कौन कर सकता है मनरेगा के तहत आवेदन?
इस महत्वपूर्ण रोजगार योजना का लाभ उठाने के लिए 18 वर्ष या उससे अधिक आयु का कोई भी भारतीय नागरिक जो ग्रामीण क्षेत्र में रहता है, आवेदन कर सकता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। आवेदक को आवेदन की तारीख से 15 दिनों के भीतर गारंटीकृत रोजगार प्राप्त होता है। यह योजना ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था और आजीविका का एक मजबूत आधार रही है, और इसके नाम में बदलाव को लेकर हो रही बहस ने इसे फिर से सुर्खियों में ला दिया है।




