आरा। ममता की छांव में अक्सर ही नफरत के बीज पनप जाते हैं, और जब ये बीज परवान चढ़ते हैं तो रिश्तों की डोर टूट बिखर जाती है। Newborn Trafficking: बिहार के आरा जिले से रिश्तों को तार-तार कर देने वाली एक ऐसी ही खौफनाक खबर सामने आई है, जहां प्रेम विवाह से नाराज एक दादी ने अपने ही नवजात पोते को 50 हजार रुपये में बेच दिया।
Newborn Trafficking: आरा में रिश्तों का कत्ल! प्रेम विवाह से नाराज दादी ने 50 हजार में बेचा नवजात पोता, चार गिरफ्तार, बच्चा लापता
Newborn Trafficking: कैसे हुई इस जघन्य अपराध की शुरुआत?
यह दिल दहला देने वाली घटना भोजपुर जिले के नारायणपुर थाना क्षेत्र के स्थानीय नारायणपुर गांव से जुड़ी है। बताया जा रहा है कि चितरंजन कुमार नामक व्यक्ति ने प्रेम विवाह किया था, जिससे उसकी मां, यानी बच्चे की दादी, काफी नाराज थीं। इसी नाराजगी की आग में जलकर दादी ने एक ऐसा कदम उठाया जिसने हर किसी को झकझोर कर रख दिया। उन्होंने अपने ही नवजात पोते को मात्र 50 हजार रुपये में एक झोलाछाप डॉक्टर के हाथों बेच दिया। इस मामले में नवजात की मां खुशबू कुमारी के बयान पर 16 दिसंबर को गड़हनी थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। खुशबू कुमारी के लिए यह घटना किसी वज्रपात से कम नहीं थी, जब उन्हें पता चला कि उनके कलेजे का टुकड़ा दादी के हाथों बिक चुका है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
पुलिस की कार्रवाई और लापता बच्चे की तलाश
पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए इस जघन्य शिशु की खरीद-फरोख्त के मामले में अब तक चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। हालांकि, सबसे दुखद पहलू यह है कि बच्चे का अब तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है। पुलिस लगातार बच्चे की तलाश में जुटी हुई है और आरोपियों से पूछताछ कर रही है ताकि नवजात को जल्द से जल्द सुरक्षित बरामद किया जा सके। इस मामले ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है और लोग रिश्तों की मर्यादा को तार-तार करने वाली इस घटना से स्तब्ध हैं। इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए सामाजिक चेतना और संवेदनशीलता की बेहद आवश्यकता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
कानूनी प्रावधान और सामाजिक चिंतन
भारतीय कानून में नवजात शिशु की खरीद-फरोख्त एक गंभीर अपराध है, जिसमें कड़ी सजा का प्रावधान है। इस तरह की घटनाएँ समाज में गहरे चिंतन का विषय बन जाती हैं, जहाँ रिश्तों के पवित्र बंधन भी स्वार्थ और नाराजगी के आगे दम तोड़ देते हैं। यह घटना समाज में बढ़ रहे सामाजिक विघटन और पारिवारिक कलह की भयावह तस्वीर पेश करती है। इस मामले में पुलिस के साथ-साथ सामाजिक संगठनों को भी आगे आने की जरूरत है ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। प्रशासन इस पूरे मामले पर पैनी नजर बनाए हुए है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।




