बिहार मौसम: पहाड़ों पर हुई बर्फबारी ने मैदानी इलाकों में सर्द हवाओं का ऐसा डेरा डाला है कि ठिठुरन अब सिर्फ एहसास नहीं, बल्कि एक कठिन चुनौती बन चुकी है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड की ऊंची चोटियों पर हुई सीजन की पहली बर्फबारी का सीधा असर अब बिहार के आम जनजीवन पर दिख रहा है। सुबह से ही घना कोहरा छाया रहता है, जिससे विजिबिलिटी काफी कम हो गई है। सड़कों पर वाहनों की रफ्तार धीमी पड़ गई है और लोग घरों में दुबकने को मजबूर हैं।
बिहार मौसम का मिजाज: पहाड़ों पर बर्फबारी, मैदानों में असर
ठंड की यह दस्तक सिर्फ रात या सुबह तक सीमित नहीं है, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। दिन में भी सूरज की किरणें बेअसर साबित हो रही हैं। बर्फीली हवाएं दिन भर चलती रहती हैं, जिससे लोगों को अलाव और गर्म कपड़ों का सहारा लेना पड़ रहा है। स्कूलों और दफ्तरों में उपस्थिति भी प्रभावित हुई है।
मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले दिनों में ठंड और घना कोहरा दोनों का प्रकोप और बढ़ सकता है। लोगों को सुबह और शाम के समय विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
शीतलहर से बचाव: क्या करें और क्या न करें
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अचानक बढ़ी ठंड और शीतलहर बुजुर्गों और बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है। ऐसे में उन्हें घर से बाहर कम निकलना चाहिए और गर्म पेय पदार्थों का सेवन करना चाहिए। सड़कों पर घना कोहरा होने के कारण वाहन चालकों को भी अतिरिक्त सतर्कता बरतने की हिदायत दी गई है। धीमी गति से गाड़ी चलाने और फॉग लाइट्स का इस्तेमाल करने से दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है। सरकार और स्थानीय प्रशासन भी ठंड से निपटने के लिए आवश्यक कदम उठा रहे हैं, जिसमें सार्वजनिक स्थानों पर अलाव की व्यवस्था करना और बेघर लोगों के लिए रैन बसेरों का इंतजाम करना शामिल है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह मौसम हर साल आता है, लेकिन इस बार इसकी तीव्रता कुछ अधिक ही महसूस की जा रही है, जो लोगों को विशेष तैयारी करने पर मजबूर कर रही है। ठंड के कारण फसलों पर भी असर पड़ सकता है, जिसकी चिंता किसानों को सता रही है।



