Maharashtra School Education: महाराष्ट्र में स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूलों के नामकरण को लेकर एक महत्वपूर्ण और सख्त निर्णय लिया है, जिसका सीधा असर अभिभावकों और छात्रों पर पड़ेगा। अब राज्य में कोई भी स्कूल अपने नाम में ‘इंटरनेशनल’ या ‘ग्लोबल’ जैसे शब्दों का उपयोग तभी कर पाएगा जब वह इसके लिए निर्धारित मानकों को पूरा करता हो। इस पहल का मुख्य उद्देश्य माता-पिता और आम जनता को भ्रामक विज्ञापनों और गलत जानकारी से बचाना है।
महाराष्ट्र स्कूल एजुकेशन: स्कूलों के नाम में ‘इंटरनेशनल’ और ‘ग्लोबल’ शब्द के इस्तेमाल पर सख्त नियम
शिक्षा विभाग ने इस बात पर गौर किया है कि कई स्कूल बिना किसी अंतरराष्ट्रीय संबद्धता या विदेशी शाखा के ही अपने नाम में ‘इंटरनेशनल’ या ‘ग्लोबल’ जैसे आकर्षक शब्द जोड़ रहे थे। ऐसे नामों से अक्सर अभिभावकों को यह भ्रम होता था कि स्कूल का शैक्षणिक स्तर या पाठ्यक्रम अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है, जबकि वास्तविकता इससे भिन्न होती थी। यह एक गंभीर मुद्दा था जिसे हल करना आवश्यक था, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
संयुक्त माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने सभी स्थानीय शिक्षा अधिकारियों को एक पत्र जारी कर स्पष्ट दिशानिर्देश दिए हैं। इन दिशानिर्देशों के अनुसार:
- ‘इंटरनेशनल’ या ‘ग्लोबल’ शब्दों का उपयोग केवल वही स्कूल कर सकते हैं:
- जिनकी विदेश में कोई शाखा हो।
- जो किसी अंतरराष्ट्रीय बोर्ड या पाठ्यक्रम से संबद्ध हों।
- राज्य बोर्ड से संबद्ध स्कूलों को इन शब्दों का उपयोग करने की अनुमति नहीं होगी, जब तक वे उपरोक्त आवश्यक शर्तें पूरी न करें।
महाराष्ट्र स्कूल एजुकेशन: भ्रामक नामों पर विभाग की कड़ी निगरानी
शिक्षा विभाग ने सभी स्थानीय शिक्षा अधिकारियों को नए स्कूल प्रस्तावों या मौजूदा स्कूलों के नवीनीकरण के दौरान नामों की गहन जांच करने के निर्देश दिए हैं। इस जांच प्रक्रिया में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि स्कूल किस बोर्ड से जुड़ा है, शिक्षा का माध्यम क्या है, और क्या संस्था के देश या विदेश में अन्य स्कूल भी संचालित हैं। यदि किसी स्कूल का नाम भ्रामक पाया जाता है, तो उसे पहले नाम बदलने का निर्देश दिया जाएगा, और इसके बाद ही उसे आगे की मंजूरी मिलेगी।
कुछ स्कूलों के ‘इंग्लिश मीडियम’ नाम रखने के बावजूद, उनकी सरकारी मंजूरी मराठी माध्यम की होती है। ऐसे स्कूल बिना नई अनुमति लिए ही अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा प्रदान करना शुरू कर देते हैं, जो नियमों का उल्लंघन है। विभाग के अधिकारियों के अनुसार, अंग्रेजी माध्यम चलाने के लिए अलग से मंजूरी लेना अनिवार्य है, परंतु कई स्कूल इस महत्वपूर्ण दिशानिर्देश का पालन नहीं कर रहे हैं। इस संबंध में भी विभाग सख्त कदम उठाएगा, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
नामकरण और माध्यम संबंधी अन्य महत्वपूर्ण नियम
शिक्षा विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि स्कूल के नाम में ‘CBSE’ शब्द का सीधा इस्तेमाल कानूनी रूप से अनुमेय नहीं है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) एक परीक्षा बोर्ड है जो केंद्र सरकार द्वारा स्थापित है। कोई भी निजी स्कूल अपने नाम में सीधे इस शब्द का उपयोग नहीं कर सकता है, क्योंकि इससे भी जनता में गलतफहमी फैलती है। अभिभावकों को यह लग सकता है कि स्कूल सीधे CBSE द्वारा संचालित है, जो कि सत्य नहीं होता।
यह पूरा मामला 10 दिसंबर को आयोजित एक राज्य स्तरीय बैठक में प्रमुखता से उठाया गया था। बैठक में उपस्थित अधिकारियों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि ऐसे भ्रामक नामों का छात्रों और अभिभावकों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसी बैठक में यह निर्णय लिया गया कि जिन स्कूलों के नाम वर्तमान नियमों के विपरीत हैं, उन्हें तत्काल नाम बदलने के निर्देश जारी किए जाएंगे। लेटेस्ट एजुकेशन और जॉब अपडेट्स के लिए यहां क्लिक करें
विभाग ने एक सूची भी जारी की है जिसमें 11 ऐसे स्कूलों का उल्लेख है जिन्होंने दिसंबर 2025 में नई अनुमति या नवीनीकरण के लिए आवेदन किया है। इनमें से तीन स्कूल ठाणे जिले से हैं, जो मुंबई महानगर क्षेत्र का हिस्सा है। इन सभी 11 स्कूलों को अपने नाम में सुधार करने और नए आवेदन जमा करने के लिए कहा गया है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता है कि शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता बनी रहे और अभिभावकों के साथ किसी भी प्रकार का छल न हो।



