Rahu Ketu Dosh:
मनुष्य के जीवन में ग्रहों का प्रभाव अत्यंत गहरा और निर्णायक होता है। विवाह, जो जीवन का एक महत्वपूर्ण संस्कार है, उसमें भी ग्रह-नक्षत्रों की चाल और स्थिति विशेष भूमिका निभाती है। कई बार ऐसा होता है कि अथक प्रयासों के बाद भी विवाह में विलंब या बाधाएं आती हैं, जिसका एक प्रमुख कारण कुंडली में उत्पन्न होने वाले कुछ विशेष ग्रह दोष हो सकते हैं। आइए, आज हम ज्योतिष शास्त्र के उन गूढ़ रहस्यों को जानें, विशेषकर राहु-केतु के प्रभाव को, जो विवाह योग को प्रभावित करते हैं।
क्या सचमुच विवाह में रुकावट बन जाते हैं राहु केतु दोष?
विवाह पर राहु केतु दोष का प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली उसके जीवन का दर्पण होती है, जिसमें ग्रहों की स्थिति उसके भविष्य का खाका खींचती है। विवाह जैसे पवित्र बंधन में शनि, मंगल, राहु या केतु जैसे ग्रहों की प्रतिकूल स्थिति अक्सर रुकावटें पैदा कर सकती है। इसके अतिरिक्त, कुंडली में मांगलिक दोष, पितृ दोष अथवा शुक्र और बृहस्पति जैसे शुभ ग्रहों की कमजोर स्थिति भी विवाह में बाधाओं का कारण बनती है। क्या राहु केतु दोष वास्तव में इन बाधाओं का मुख्य स्रोत बन जाते हैं? इस प्रश्न का उत्तर गहन ज्योतिषीय विश्लेषण में छिपा है।
हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्यों का मत है कि राहु और केतु, जिन्हें छाया ग्रह कहा जाता है, कुंडली में कुछ विशेष स्थानों पर बैठकर या अन्य ग्रहों के साथ युति करके विवाह संबंधी मामलों में व्यवधान उत्पन्न कर सकते हैं। जब ये ग्रह सप्तम भाव (जो विवाह का भाव है) या उसके स्वामी को प्रभावित करते हैं, तो विवाह में देरी, संबंधों में अस्थिरता या मनचाहा जीवनसाथी मिलने में कठिनाई जैसी समस्याएं सामने आ सकती हैं। यह एक गंभीर Graha Dosh माना जाता है, जिसके कारण व्यक्ति को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ सकता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। कई बार तो यह स्थिति इतनी प्रबल होती है कि योग्य वर या वधू होते हुए भी बात आगे नहीं बढ़ पाती।
राहु-केतु के अतिरिक्त, कुंडली में मौजूद अन्य Graha Dosh भी विवाह में अड़चनें पैदा करते हैं, जैसे शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या, मंगल का सप्तम भाव में होना, या शुक्र का अस्त होना। हालांकि, राहु-केतु का प्रभाव अक्सर अप्रत्याशित और भ्रमित करने वाला होता है, जिससे सही कारण का पता लगाना मुश्किल हो जाता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह आवश्यक है कि किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषाचार्य से अपनी कुंडली का विस्तृत विश्लेषण करवाएं। सही समय पर उचित ज्योतिषीय उपायों द्वारा इन दोषों के नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है।
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राहु केतु दोष के कारण और ज्योतिषीय मत
विवाह में विलंब के पीछे राहु और केतु का प्रभाव एक जटिल विषय है। जब राहु या केतु का संबंध विवाह के कारक ग्रहों या भावों से होता है, तो यह कई बार रिश्तों में भ्रम, गलतफहमी या अचानक आने वाली रुकावटों का कारण बनता है। यह केवल विवाह को टालता ही नहीं, बल्कि कभी-कभी वैवाहिक जीवन में भी कलह या अलगाव की स्थिति उत्पन्न कर सकता है। ज्योतिषी इस बात पर जोर देते हैं कि इन छाया ग्रहों का प्रभाव व्यक्ति के कर्मों और पूर्व जन्म के संस्कारों से भी जुड़ा होता है।
आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह महत्वपूर्ण है कि इन दोषों को केवल भय के रूप में न देखें, बल्कि इन्हें आत्म-निरीक्षण और सुधार का अवसर मानें। ज्योतिष शास्त्र में प्रत्येक समस्या का समाधान निहित है। सही मार्गदर्शन और निष्ठापूर्वक किए गए उपायों से इन दोषों के अशुभ प्रभावों को शांत किया जा सकता है और विवाह जैसे शुभ कार्य में आने वाली बाधाओं को दूर किया जा सकता है।
ज्योतिषीय उपाय और समाधान
राहु-केतु दोष के कारण विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए कई प्रभावी ज्योतिषीय उपाय बताए गए हैं। इनमें मंत्र जाप, रत्न धारण, विशिष्ट पूजा-पाठ और दान आदि शामिल हैं। राहु के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ, राहु मंत्र ‘ॐ रां राहवे नमः’ का जाप, और गोमेद रत्न धारण करना लाभकारी हो सकता है। वहीं, केतु के लिए गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ, केतु मंत्र ‘ॐ कें केतवे नमः’ का जाप, और लहसुनिया रत्न धारण करना शुभ फल देता है। हालांकि, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले अपनी कुंडली का संपूर्ण विश्लेषण करवाना अनिवार्य है, ताकि सही और सटीक उपाय का चयन किया जा सके। एक योग्य ज्योतिषाचार्य ही आपकी कुंडली में राहु-केतु की स्थिति और उनके प्रभाव का सही आकलन कर सर्वोत्तम मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।



