जब व्यवस्था की नींव हिलती है, तो धरती पर आवाज़ें गूँजती हैं। मजदूर, जिनके श्रम पर देश की अर्थव्यवस्था टिकी है, जब सड़क पर उतरते हैं तो उनके आक्रोश की धमक दूर तक जाती है। जहानाबाद की सड़कों पर हाल ही में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला, जब वामपंथी संगठनों और मनरेगा से जुड़े कार्यकर्ताओं ने श्रम कानूनों में बदलाव के विरोध में एक विशाल विरोध मार्च निकाला।
Labor Law Amendment: जहानाबाद शहर एक बार फिर श्रमिकों के आंदोलन का गवाह बना। देशव्यापी आह्वान के बाद वामपंथी संगठनों, मनरेगा से जुड़े कार्यकर्ताओं और ग्रामीण मजदूरों ने एकजुट होकर जिला मुख्यालय में विरोध मार्च निकाला। इस मार्च का मुख्य उद्देश्य केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित श्रम कानूनों में संशोधनों के प्रति अपना रोष व्यक्त करना था, जिसे वे मजदूर विरोधी करार दे रहे हैं।
श्रम कानून संशोधन: मजदूरों की चुनौतियां और सरकार की नीतियां
प्रदर्शनकारी हाथों में तख्तियां लिए और नारों के साथ आगे बढ़ रहे थे, जिसमें सरकार से इन संशोधनों को तुरंत वापस लेने की मांग की जा रही थी। वे इस बात पर जोर दे रहे थे कि ये बदलाव मजदूरों के अधिकारों को कमजोर करेंगे और उन्हें कॉर्पोरेट घरानों के सामने और भी अधिक असुरक्षित बना देंगे।
इस प्रदर्शन में विशेष रूप से ग्रामीण मजदूर बड़ी संख्या में शामिल हुए, जिनका मानना है कि नए कानून उनकी आजीविका पर सीधा प्रहार करेंगे। मनरेगा के तहत काम करने वाले श्रमिकों ने भी अपनी चिंताओं को सामने रखा, क्योंकि उन्हें लगता है कि बदलते नियम उनकी सामाजिक सुरक्षा और न्यूनतम मजदूरी के अधिकार को छीन सकते हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: https://deshajtimes.com/news/national/। यह विरोध मार्च शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचा, जहां एक जनसभा का आयोजन किया गया और संबंधित अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा गया।
नए श्रम कानूनों का श्रमिकों पर प्रभाव
वक्ताओं ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार को श्रम सुधारों के नाम पर मजदूरों के हितों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इन मजदूर विरोधी प्रावधानों को वापस नहीं लिया गया, तो आंदोलन और भी तेज किया जाएगा। ग्रामीण मजदूर और अन्य श्रमिक वर्ग पहले से ही महंगाई और बेरोजगारी की दोहरी मार झेल रहा है, ऐसे में ये नए कानून उनके लिए नई मुसीबतें खड़ी कर सकते हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि सरकार को तुरंत इन प्रस्तावित बदलावों पर पुनर्विचार करना चाहिए और सभी हितधारकों, विशेष रूप से श्रमिक संघों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद ही कोई निर्णय लेना चाहिए। यह प्रदर्शन जहानाबाद में मजदूरों की एकजुटता और अपने अधिकारों के प्रति उनकी सजगता को दर्शाता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।



