Bihar Land Circle Rate: बिहार की धरती पर जमीनों की कीमतें आसमान छू रही हैं, लेकिन सरकारी मूल्यांकन जमीन से जुड़ा हुआ सा प्रतीत हो रहा है। इसी खाई को पाटने के लिए नीतीश सरकार एक बड़ा कदम उठाने जा रही है।
सर्किल रेट में वृद्धि क्यों है जरूरी? Bihar Land Circle Rate का बढ़ना क्यों अहम?
राज्य सरकार बिहार में जमीन के सर्किल रेट को 400 प्रतिशत तक बढ़ाने के प्रस्ताव को कैबिनेट के पास भेजने की तैयारी में है। यह बढ़ोतरी कोई साधारण कदम नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई आर्थिक और प्रशासनिक तर्क दिए जा रहे हैं। वर्तमान में, कई क्षेत्रों में सर्किल रेट बाजार मूल्य से काफी कम है, जिसके चलते जमीन की खरीद-बिक्री में बड़े पैमाने पर हेरफेर और काले धन का प्रयोग होता है। जब सर्किल रेट और बाजार मूल्य में बड़ा अंतर होता है, तो लोग अक्सर कम सर्किल रेट पर रजिस्ट्री कराकर बाकी रकम का भुगतान कैश में करते हैं। इससे न केवल पारदर्शिता की कमी आती है, बल्कि सरकार को भारी मात्रा में सरकारी राजस्व का भी नुकसान होता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह एक ऐसी समस्या है जो वर्षों से बिहार के भूमि प्रबंधन को चुनौती दे रही है।
यह भी पढ़ें कि सर्किल रेट को बढ़ाने से जहां एक ओर सरकार के खजाने में वृद्धि होगी, वहीं दूसरी ओर भूमि सौदों में ईमानदारी को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, कम सर्किल रेट के कारण संपत्ति पंजीकरण के दौरान स्टाम्प शुल्क और निबंधन शुल्क भी कम मिलता है। जब सर्किल रेट बढ़ता है, तो इन शुल्कों से प्राप्त होने वाले सरकारी राजस्व में भी इजाफा होता है, जिससे राज्य के विकास कार्यों के लिए अधिक फंड उपलब्ध हो पाता है। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
सर्किल रेट न बढ़ने से क्या नुकसान?
अगर सर्किल रेट को समय-समय पर बाजार मूल्य के अनुसार अपडेट नहीं किया जाता, तो इसके कई गंभीर नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं। सबसे पहले, यह रियल एस्टेट बाजार में अनौपचारिक लेनदेन को बढ़ावा देता है, जहां खरीददार और विक्रेता दोनों सरकारी नियमों से बचने के लिए वास्तविक मूल्य का एक हिस्सा ‘कैश’ में आदान-प्रदान करते हैं। इससे सरकार की कर आय में कमी आती है और अवैध धन के प्रचलन को बल मिलता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। दूसरा, यह भूमि विवादों को जन्म दे सकता है, क्योंकि सरकारी रिकॉर्ड में संपत्ति का मूल्य बहुत कम दिखाया जाता है, जबकि उसका वास्तविक बाजार मूल्य कहीं अधिक होता है। तीसरा, बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए भी यह एक चुनौती बन जाता है, क्योंकि वे संपत्ति के वास्तविक मूल्य का आकलन नहीं कर पाते, जिससे ऋण देने और ऋण वसूली में समस्याएँ आती हैं। अंततः, यह राज्य के आर्थिक विकास पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है, क्योंकि राजस्व की कमी से विकास परियोजनाओं को फंड मिलना मुश्किल हो जाता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। इसलिए, सर्किल रेट में बढ़ोतरी को केवल राजस्व संग्रह का जरिया नहीं, बल्कि भूमि प्रबंधन में सुधार और पारदर्शिता लाने का एक आवश्यक कदम माना जा रहा है।





