Youth Festival Madhubani: मधुबनी की गलियां आज एक अनूठे रंगमंच में बदल गईं, जहाँ संस्कृति और उत्साह का महासंगम देखने को मिला। इसी जोश और उमंग के साथ आज राज्य स्तरीय युवा महोत्सव का भव्य आगाज़ हुआ, जिसने पूरे शहर को अपनी आगोश में ले लिया।
Youth Festival Madhubani: जब सड़कों पर उतरा बिहार का सांस्कृतिक वैभव, झांकी में उमड़ा जनसैलाब
Youth Festival Madhubani: उत्साह और एकता का अद्भुत संगम
आज, 23 दिसंबर 2055 को, मधुबनी शहर ने एक अविस्मरणीय सुबह का अनुभव किया, जब जिलाधिकारी आनंद शर्मा और पुलिस अधीक्षक योगेंद्र कुमार के नेतृत्व में एक भव्य और मनमोहक नगर झांकी का आयोजन किया गया। यह झांकी राज्य स्तरीय युवा महोत्सव का प्रतीक बन कर उभरी, जिसने उत्साह, उल्लास और बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता से शहर के हर कोने को रंग दिया। ढोल-नगाड़ों की गूंज और पारंपरिक नृत्य-गीतों की मोहक प्रस्तुतियाँ शहर की फिज़ा में घुल गईं, और रंग-बिरंगे परिधानों में सजे कलाकारों ने हर किसी का दिल जीत लिया।
इस झांकी में बिहार के कोने-कोने से आए कलाकारों की टीमों ने अपनी-अपनी लोककला और स्थानीय परंपराओं का जीवंत प्रदर्शन किया। इन मनमोहक झांकियों को देखने के लिए सिर्फ युवा ही नहीं, बल्कि आमजन भी मंत्रमुग्ध हो गए। यह आयोजन महज एक झांकी नहीं, बल्कि हमारी गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत का एक चलता-फिरता उत्सव था, जो नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ रहा था। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। प्रशासन ने कार्यक्रम की सफलता सुनिश्चित करने के लिए सभी व्यवस्थाएं चाक-चौबंद रखीं, जिससे पूरा आयोजन शांतिपूर्ण और सुव्यवस्थित ढंग से संपन्न हुआ।
यह भव्य नगर झांकी वाटसन स्कूल के मैदान से प्रारंभ हुई और थाना चौक, स्टेशन रोड, बाटा चौक जैसे शहर के प्रमुख मार्गों से होती हुई पुनः वॉटसन स्कूल पर समाप्त हुई। मार्ग में जगह-जगह खड़े हजारों लोगों ने तालियों और जयकारों के साथ कलाकारों का स्वागत किया, जो इस बात का प्रमाण था कि कला और संस्कृति के प्रति जनमानस में कितना गहरा सम्मान है। इस अवसर पर जिले के तमाम वरीय एवं कनीय अधिकारी, जनप्रतिनिधि, समाजसेवी तथा बड़ी संख्या में आम नागरिक उपस्थित रहे, जिन्होंने इस सांस्कृतिक महाकुंभ का हिस्सा बनकर आयोजन को गरिमा प्रदान की।
युवा ऊर्जा और सामाजिक समरसता का प्रतीक
नगर झांकी के माध्यम से राज्य स्तरीय युवा महोत्सव का संदेश समाज के हर वर्ग तक पहुंचा। इसका उद्देश्य युवाओं में सांस्कृतिक एकता, रचनात्मकता और सहभागिता की भावना को बढ़ावा देना था। यह आयोजन केवल कला और संस्कृति का उत्सव मात्र नहीं था, बल्कि यह सामाजिक समरसता और युवा ऊर्जा का एक सशक्त प्रदर्शन भी बना। कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से यह साबित कर दिया कि कैसे कला, विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को एक सूत्र में पिरो सकती है। हमारी सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और उसे आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी हम सभी की है, और ऐसे महोत्सव इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें यह झांकी भविष्य के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी बनी, जिसने दिखाया कि कैसे युवा शक्ति रचनात्मकता और सकारात्मकता के माध्यम से समाज में परिवर्तन ला सकती है। हमें गर्व है कि आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।






