Darbhanga News: दरभंगा सिविल कोर्ट से नहीं मिली राहत, हत्या-हमले के आरोपियों की जमानत याचिका खारिज
Darbhanga News: दरभंगा देशज टाइम्स कोर्ट रिपोर्टर। अदालतें कभी नरमी नहीं दिखाती जब बात संगीन जुर्मों की हो, और न्याय का पलड़ा जब एक बार झुकता है, तो अपराधियों को राहत मिलना मुश्किल होता है।
दरभंगा सिविल कोर्ट में आरोपियों को झटका
दरभंगा। सिविल कोर्ट में न्याय की तलवार पूरी तेजी से चली है, जहां अपर सत्र न्यायाधीश उपेंद्र कुमार की अदालत ने कई गंभीर आपराधिक मामलों में आरोपी व्यक्तियों की नियमित और अग्रिम जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया है। यह फैसला उन लोगों के लिए बड़ा झटका है, जो अदालत से राहत की उम्मीद कर रहे थे। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
मिली जानकारी के अनुसार, बहेड़ी थाना कांड संख्या 345/25 में हत्या के आरोपी उज्जैना निवासी रंजीत लाल देव, लेलिन लालदेव और नितीश लालदेव की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी गई है। इन आरोपियों पर हत्या जैसे संगीन जुर्म का आरोप है, जिस पर कोर्ट ने कोई नरमी नहीं दिखाई। पब्लिक प्रॉसिक्यूटर अमरेंद्र नारायण झा ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि कोर्ट का यह फैसला न्याय प्रक्रिया की सख्ती को दर्शाता है।
इसके अतिरिक्त, लहेरियासराय थाना कांड संख्या 201/25 में प्राणलेवा हमला के आरोपी मुमताज कुरैशी उर्फ मुमताज अहमद और लहेरियासराय थाना कांड संख्या 424/25 के आरोपी बेंता निवासी मो. वजीर मुनौवर की अग्रिम जमानत याचिका को भी अदालत ने नामंजूर कर दिया है। इन दोनों पर जानलेवा हमले का आरोप है। कोर्ट ने इन आपराधिक मामले में भी कोई ढिलाई नहीं बरती है। अब इन सभी आरोपियों के पास जमानत पाने का एकमात्र रास्ता पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें https://deshajtimes.com/news/national/।
आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह घटनाक्रम दिखाता है कि दरभंगा की न्यायपालिका गंभीर अपराधों को लेकर कितनी सख्त है।
अब आगे क्या?
अदालत के इस फैसले के बाद, इन सभी आरोपियों के लिए कानूनी चुनौतियां बढ़ गई हैं। उन्हें अब निचली अदालत से राहत न मिलने के बाद उच्च न्यायालय का रुख करना होगा। पटना हाईकोर्ट में अपनी जमानत अर्जी दाखिल करनी पड़ेगी, जहां उन्हें नए सिरे से अपनी बेगुनाही साबित करने या जमानत के लिए मजबूत दलीलें पेश करनी होंगी। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1, जो आपको हर छोटे-बड़े अपडेट से रूबरू कराता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि उच्च न्यायालय में इन आपराधिक मामलों का क्या परिणाम होता है और क्या आरोपियों को वहां से कोई राहत मिल पाती है।



