Share Market: इलेक्ट्रिक वाहन सेगमेंट में तेजी से उभर रही ओला इलेक्ट्रिक के शेयरों में पिछले कुछ समय से भारी गिरावट देखी जा रही है। कंपनी के शेयर अपने उच्चतम स्तर से लगभग 78 प्रतिशत तक टूट चुके हैं, जिससे घरेलू और विदेशी दोनों तरह के निवेशकों को बड़ा झटका लगा है। सॉफ्टबैंक और टेमासेक जैसी दिग्गज वैश्विक निवेश फर्मों को भी इस गिरावट से हजारों करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा है। ऐसे में यह सवाल अहम हो जाता है कि क्या यह शेयर बेचने का सही समय है या निवेशकों को इंतजार करना चाहिए।
शेयर बाजार: ओला इलेक्ट्रिक के शेयर 78% गिरे, निवेशकों को हजारों करोड़ का नुकसान, क्या करें?
ओला इलेक्ट्रिक और शेयर बाजार में इसका प्रदर्शन
ओला इलेक्ट्रिक के शेयर अपनी चमक खोते हुए नजर आ रहे हैं। एक समय जिसने बड़े-बड़े निवेशकों का ध्यान खींचा था, वह आज लगातार गोता लगा रहा है। शेयरों की कीमत अपने शिखर से 78% नीचे आ चुकी है, जिसने उन निवेशकों की रातों की नींद उड़ा दी है, जिन्होंने कंपनी में भारी-भरकम पैसा लगाया था। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। इस गिरावट ने निवेशकों को लगभग 7,956 करोड़ रुपये का सामूहिक नुकसान पहुँचाया है।
बीएसई पर 23 दिसंबर को कारोबार के अंत में कंपनी के शेयरों में हल्की तेजी देखी गई, जहाँ यह 0.26 प्रतिशत या 0.09 रुपये की बढ़त के साथ 34.76 रुपये पर बंद हुए। हालांकि, यह हल्की बढ़त लंबी अवधि में हुए बड़े नुकसान के सामने बेहद कम है। सॉफ्टबैंक के स्वामित्व वाली SVF II Ostrich (DE) LLC और टेमासेक होल्डिंग्स से जुड़ी MacRitchie Investments जैसे बड़े वैश्विक निवेशक भी इस मार से अछूते नहीं रहे हैं। सॉफ्टबैंक को अपने निवेश की लागत से करीब 1,083 करोड़ रुपये का, यानी 32 फीसदी का बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। इसी तरह MacRitchie Investments को भी भारी नुकसान हुआ है।
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आगे की राह और विशेषज्ञों की सलाह
इस बड़ी गिरावट के बाद खुदरा निवेशक असमंजस में हैं कि अब क्या किया जाए। वेल्थ मिल्स सिक्योरिटीज के डायरेक्टर-इक्विटी स्ट्रैटेजी, क्रांति बथिनी ने मौजूदा निवेशकों के लिए ‘वेट एंड वॉच’ की रणनीति अपनाने की सलाह दी है। उनका मानना है कि इतने बड़े नुकसान के बाद शेयर से बाहर निकलना सही फैसला नहीं होगा। क्रांति बथिनी का सुझाव है कि निवेशकों को कुछ और तिमाहियों के वित्तीय परिणामों का इंतजार करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जो निवेशक अधिक जोखिम लेने की क्षमता रखते हैं, वे मौजूदा स्तरों पर ‘कंट्रा बेट’ (Contrarian Bet) लगाने पर विचार कर सकते हैं, यानी मंदी के बावजूद खरीदारी कर सकते हैं। यह दर्शाता है कि दीर्घकालिक संभावनाओं पर कुछ हद तक भरोसा अभी भी कायम है, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। हालांकि, यह सलाह केवल उन निवेशकों के लिए है जो उच्च जोखिम उठाने में सक्षम हैं।





