Bhagalpur Municipal Corporation News: न्याय की आस में जनता जब सड़क पर उतर आती है, तो लोकतंत्र में बैठे पहरेदारों की नींद उड़ना लाजिमी है। भागलपुर के वार्ड 13 में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला, जब विकास की उपेक्षा से त्रस्त सैकड़ों लोगों ने भूख हड़ताल का रास्ता चुना।
भागलपुर नगर निगम में स्थायी समिति बोर्ड और सामान्य बोर्ड के खिलाफ एक दिवसीय सामूहिक भूख हड़ताल ने सियासी पारा चढ़ा दिया है। वार्ड संख्या-13 के पार्षद रंजीत मंडल के नेतृत्व में परवर्ती समाज के सैकड़ों लोगों ने मेयर वसुंधरा लाल पर वार्ड की उपेक्षा का गंभीर आरोप लगाते हुए यह कदम उठाया है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
भूख हड़ताल पर बैठे लोगों का कहना है कि मेयर वसुंधरा लाल वार्ड 13 के विकास कार्यों में कोई रुचि नहीं ले रही हैं। जब भी पार्षद रंजीत मंडल अपने स्तर से कोई पहल करते हैं, तो मेयर द्वारा उसका विरोध किया जाता है, जिसके कारण वार्ड में विकास कार्य पूरी तरह से ठप पड़े हैं। इस मामले में हमने मेयर से बात करने की कोशिश की, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला।
पार्षद रंजीत मंडल ने बताया कि उन्होंने कई बार इस मुद्दे पर मेयर से बातचीत करने का प्रयास किया, लेकिन उनकी शिकायतें अनसुनी कर दी गईं। चुनाव के दौरान मेयर ने परवर्ती क्षेत्र को अपना “मायका” बताते हुए सबसे अधिक विकास का वादा किया था। अब यही वादा केवल बयानों तक ही सीमित रह गया है, धरातल पर कुछ भी नहीं दिख रहा है।
Bhagalpur Municipal Corporation News: विकास की अनदेखी बनी भूख हड़ताल की वजह
प्रदर्शनकारियों ने साफ तौर पर कहा कि यदि वार्ड 13 में विकास कार्य बिना किसी बाधा के तुरंत शुरू नहीं किए गए, तो आंदोलन को और भी तेज किया जाएगा। यह सिर्फ एक भूख हड़ताल नहीं, बल्कि जनता के धैर्य का बांध टूटने का संकेत है, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
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स्थानीय लोगों का कहना है कि वार्ड 13 विकास कार्य की रफ्तार इतनी धीमी है कि बुनियादी सुविधाएं भी मयस्सर नहीं हो पा रही हैं। इस क्षेत्र को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है, जिससे आम जनता में गहरा रोष व्याप्त है। पार्षद रंजीत मंडल ने जोर देकर कहा कि अगर वार्ड 13 विकास कार्य में तेजी नहीं लाई गई तो यह आंदोलन सिर्फ भूख हड़ताल तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सड़क पर उतरकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
मेयर पर वादाखिलाफी का आरोप
वार्ड के निवासियों का कहना है कि चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं, लेकिन कुर्सी मिलने के बाद जनता को भुला दिया जाता है। इस बार वे तब तक पीछे नहीं हटेंगे जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं। यह लड़ाई सिर्फ पार्षद की नहीं, बल्कि पूरे वार्ड के सम्मान और भविष्य की है।




