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दिसम्बर, 23, 2025

शेखपुरा नल जल योजना: ठेकेदारों की लापरवाही से प्यासे गांव, सवालों के घेरे में योजना का क्रियान्वयन

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Sheikhpura Nal Jal Yojana: भीषण गर्मी में जब हलक सूख रहे हों, तब सरकारी योजना से शुद्ध पेयजल की उम्मीद भी सूख जाए, तो सवाल उठना लाजिमी है। बिहार के शेखपुरा जिले से नल-जल योजना से जुड़ा एक ऐसा ही गंभीर मामला सामने आया है, जिसने संवेदकों की मनमानी और जवाबदेही पर बड़ा प्रश्नचिह्न लगा दिया है। जिम्मेदारों पर आरोप है कि वे गुणवत्ता से समझौता कर घटिया सामग्री का उपयोग कर रहे हैं, जिससे योजना का लाभ ग्रामीणों तक पहुंच ही नहीं पा रहा। यह हाल तब है जब योजना के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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योजना का लक्ष्य और जमीनी हकीकत

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की यह महत्वाकांक्षी योजना हर घर तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। इसका लक्ष्य था कि ग्रामीण इलाकों में लोगों को आर्सेनिक और फ्लोराइड जैसे हानिकारक तत्वों से मुक्त पानी मिल सके। लेकिन शेखपुरा में सामने आए मामलों से स्पष्ट है कि यह लक्ष्य अभी कोसों दूर है। ग्रामीणों को आज भी शुद्ध पानी के लिए भटकना पड़ रहा है, जिससे क्षेत्र में एक बड़ा पेयजल संकट उत्पन्न हो गया है। शिकायतों के बावजूद अधिकारी संवेदकों पर कार्रवाई करने में हिचकिचा रहे हैं, जिससे उनकी मिलीभगत की आशंका भी मजबूत होती है। स्थानीय लोग लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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शेखपुरा नल जल योजना: कागजों पर दौड़ी, जमीन पर ठप

योजना के तहत बिछाई गई पाइपलाइनें टूटी-फूटी पड़ी हैं, कई जगहों पर नल लगे ही नहीं हैं, और जहां लगे हैं, वहां पानी नहीं आता। स्थिति ऐसी है कि कई गांवों में टंकी तो बन गई है, लेकिन उसमें कभी पानी भरा ही नहीं गया। ग्रामीण बताते हैं कि ठेकेदारों ने आनन-फानन में काम निपटाया और भुगतान लेकर चंपत हो गए। इस कारण कई क्षेत्रों में भीषण पेयजल संकट गहरा गया है। प्रशासन को इस पूरे मामले पर गंभीरता से विचार करते हुए दोषी संवेदकों और अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी धांधली न हो। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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आगे की राह: जवाबदेही और गुणवत्ता सुनिश्चित करना

यह सिर्फ शेखपुरा की कहानी नहीं है, बल्कि बिहार के कई अन्य जिलों में भी नल-जल योजना की कमोबेश यही स्थिति है। सरकार को चाहिए कि वह इस योजना की नियमित निगरानी सुनिश्चित करे और थर्ड-पार्टी ऑडिट कराए, ताकि जनता के पैसे का सही उपयोग हो सके और हर घर तक शुद्ध पेयजल का सपना हकीकत बन सके।

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