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दिसम्बर, 24, 2025

हिंदी साहित्य जगत में शोक की लहर: Vinod Kumar Shukla Demise से साहित्य प्रेमी मर्माहत

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Vinod Kumar Shukla Demise: हिंदी साहित्य के आकाश का एक दैदीप्यमान नक्षत्र आज अस्त हो गया। अपनी सरल मगर गहरी रचनाओं से पाठकों के दिलों में अमिट छाप छोड़ने वाले प्रख्यात लेखक और भारत के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता विनोद कुमार शुक्ल ने 89 वर्ष की आयु में इस दुनिया को अलविदा कह दिया है।

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हिंदी साहित्य जगत में शोक की लहर: Vinod Kumar Shukla Demise से साहित्य प्रेमी मर्माहत

महान साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल Demise: एक युग का अंत

प्रख्यात हिंदी लेखक और प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित विनोद कुमार शुक्ल का 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। उन्होंने आज दोपहर लगभग 4:58 बजे रायपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में अपनी अंतिम सांस ली। उनके निधन से साहित्य जगत में गहरा शोक व्याप्त है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने पिछले महीने 1 नवंबर को विनोद कुमार शुक्ल से बातचीत की थी और उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी। आज प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात लेखक विनोद कुमार शुक्ल जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। हिन्दी साहित्य जगत में अपने अमूल्य योगदान के लिए वे हमेशा स्मरणीय रहेंगे। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।” आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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विनोद कुमार शुक्ल: एक असाधारण साहित्यिक यात्रा

प्रसिद्ध साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल को वर्ष 2024 में 59वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया था, जिसके साथ वे छत्तीसगढ़ के पहले ऐसे लेखक बने जिन्हें भारत का यह सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान प्राप्त हुआ। उनके परिवार में उनकी पत्नी, पुत्र शशवत और एक पुत्री हैं। उनके पुत्र शशवत ने बताया कि शुक्ल को इस वर्ष अक्टूबर में एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन उनकी हालत में सुधार के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई थी।

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शुक्ल अपनी सरल, अतियथार्थवादी गद्य शैली और संयम व मौलिक कल्पना से परिपूर्ण सरल कविताओं के लिए जाने जाते थे। उनकी प्रमुख और प्रशंसित रचनाओं में उपन्यास ‘नौकर की कमीज’, ‘खिलेगा तो देखेंगे’, ‘लगभग जय हिंद’, ‘एक छुप्पी जगह’ शामिल हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भी एक्स पर शोक व्यक्त करते हुए लिखा, “महान साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल जी का निधन एक बड़ी क्षति है। ‘नौकर की कमीज’, ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ जैसी चर्चित कृतियों से साधारण जीवन को गरिमा देने वाले विनोद जी छत्तीसगढ़ के गौरव के रूप में हमेशा हम सबके हृदय में विद्यमान रहेंगे। संवेदनाओं से परिपूर्ण उनकी रचनाएँ पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी। उनके परिजन एवं पाठकों-प्रशंसकों को हार्दिक संवेदना। ॐ शान्ति।” आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

हिंदी साहित्य में उनके अद्वितीय योगदान, रचनात्मक उत्कृष्टता और विशिष्ट साहित्यिक अभिव्यक्ति के लिए, शुक्ल को भारत के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान, 59वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें इसी वर्ष 21 नवंबर को रायपुर स्थित उनके आवास पर आयोजित एक समारोह में प्रदान किया गया था। वह छत्तीसगढ़ के पहले लेखक थे जिन्हें यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला। 1 नवंबर को छत्तीसगढ़ दौरे के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्ल के परिवार से मुलाकात की थी और उनके स्वास्थ्य एवं कुशलक्षेम के बारे में जानकारी ली थी। शुक्ल के उपन्यास ‘नौकर की कमीज’ पर फिल्म निर्माता मणिकौल ने इसी नाम से एक फिल्म भी बनाई थी। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
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