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दिसम्बर, 24, 2025

Bihar Road Widening: सुल्तानगंज-देवघर फोरलेन परियोजना: विकास की नई राह, पर किसानों की बढ़ी चिंता

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Bihar Road Widening: विकास की राह पर अक्सर कई सपने कुचल जाते हैं, कई उम्मीदें दम तोड़ देती हैं। बिहार में भी एक ऐसी ही कहानी करवट ले रही है जहां चमचमाती सड़कें बनने वाली हैं, लेकिन किसानों की नींदें उड़ी हुई हैं।

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Bihar Road Widening: सुल्तानगंज-देवघर फोरलेन परियोजना: विकास की नई राह, पर किसानों की बढ़ी चिंता

Bihar Road Widening: इस महत्वपूर्ण परियोजना के तहत सुल्तानगंज-देवघर मुख्य मार्ग के चौड़ीकरण का कार्य तेज गति से शुरू हो गया है। सड़क के मध्य बिंदु से दोनों ओर 48-48 फीट भूमि की मापी की जा रही है, जिसका डिजाइनिंग कार्य भी समानांतर रूप से चल रहा है। यह फोरलेन सड़क झारखंड और बिहार के बीच कनेक्टिविटी को और सुगम बनाएगी, खासकर श्रावणी मेले के दौरान श्रद्धालुओं के लिए यह एक बड़ी राहत होगी। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। स्थानीय अधिकारियों के मुताबिक, परियोजना को समय पर पूरा करने के लिए युद्धस्तर पर काम चल रहा है, लेकिन इसका जमीनी प्रभाव किसानों के लिए चिंता का सबब बन गया है।

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Bihar Road Widening: परियोजना का खाका और किसानों की मुश्किलें

परियोजना का उद्देश्य इस व्यस्त मार्ग को आधुनिक बनाना और यातायात को सुचारु करना है। हालांकि, सड़क के विस्तार के लिए बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता है, जिससे कई किसानों की पुश्तैनी जमीनें और आशियाने प्रभावित हो सकते हैं। किसानों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि सड़क का एलाइनमेंट कैसे तय किया जाएगा और क्या उन्हें उनकी जमीन का उचित मुआवजा मिलेगा। कई परिवार इस बात को लेकर सशंकित हैं कि अगर उनकी कृषि भूमि चली गई तो उनका गुजारा कैसे होगा।

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भूमि अधिग्रहण और मुआवजे का पेच

इस परियोजना में शामिल गांवों के किसानों का कहना है कि प्रशासन ने अभी तक भूमि अधिग्रहण और मुआवजे के बारे में पूरी जानकारी नहीं दी है। उन्हें डर है कि जल्दबाजी में लिए गए निर्णयों से उन्हें नुकसान हो सकता है। सरकार द्वारा निर्धारित मुआवजा राशि अक्सर बाजार मूल्य से कम होती है, जिससे किसानों को नई जमीन खरीदने या वैकल्पिक रोजगार ढूंढने में परेशानी होती है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह समस्या केवल आर्थिक नहीं, बल्कि भावनात्मक भी है, क्योंकि किसानों का अपनी जमीन से गहरा जुड़ाव होता है। प्रशासन को चाहिए कि वह किसानों से सीधे संवाद करे और उनकी चिंताओं का समाधान करे।

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किसानों की मांग और संभावित समाधान

प्रभावित किसानों ने मांग की है कि सड़क का एलाइनमेंट इस तरह से बदला जाए जिससे कम से कम कृषि भूमि और घरों को नुकसान हो। यदि भूमि अधिग्रहण अपरिहार्य है, तो उन्हें बाजार मूल्य से अधिक मुआवजा दिया जाए, साथ ही विस्थापित परिवारों के लिए पुनर्वास की व्यवस्था भी की जाए। कई किसानों ने वैकल्पिक मार्ग या मौजूदा सड़क के किनारे ही न्यूनतम अधिग्रहण के साथ विस्तार करने का सुझाव दिया है। परियोजना के सफल क्रियान्वयन के लिए किसानों का विश्वास जीतना अत्यंत आवश्यक है। उम्मीद है कि सरकार और संबंधित विभाग इस संवेदनशील मुद्दे पर गौर करेंगे और सभी हितधारकों के लिए एक स्वीकार्य समाधान निकालेंगे ताकि विकास की यह किरण किसी के लिए अंधेरा न बने।

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