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दिसम्बर, 24, 2025

Artificial Intelligence: भविष्य की नहीं, वर्तमान की सच्चाई! उपराष्ट्रपति बोले- निराशा की ज़रूरत नहीं

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Artificial Intelligence: कल्पना के घोड़े अब हकीकत की जमीन पर दौड़ने लगे हैं, और विज्ञान का यह नया चमत्कार हमारे जीवन के हर पहलू को छू रहा है। जो कभी भविष्य की कोरी कल्पना लगती थी, वह आज की कठोर सच्चाई बन चुकी है।

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उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने हाल ही में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) को लेकर महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि एआई अब केवल भविष्य की अवधारणा नहीं है, बल्कि यह हमारे वर्तमान की एक ज्वलंत वास्तविकता है। उन्होंने नई प्रौद्योगिकी के प्रति किसी भी प्रकार की निराशावादी सोच को अनावश्यक बताया। उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि एआई के विकास को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।

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एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए, श्री राधाकृष्णन ने कंप्यूटर के शुरुआती दिनों का उदाहरण दिया। उन्होंने बताया कि जब कंप्यूटर का उपयोग शुरू हुआ था, तब भी उसका विरोध हुआ था, लेकिन अंततः उन्होंने पूरी दुनिया को बदल दिया। उनका कहना था कि हर तकनीकी प्रगति के दो पहलू होते हैं – सकारात्मक और नकारात्मक। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इन प्रौद्योगिकियों का उपयोग रचनात्मक और सकारात्मक तरीके से करें। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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Artificial Intelligence: विकास और नई प्रौद्योगिकी का स्वागत

उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन में यह भी रेखांकित किया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता अब केवल कल्पना का विषय नहीं रही, बल्कि यह आज की सच्चाई है। यह उपचार से लेकर जलवायु मॉडलिंग तक, शासन से लेकर शिक्षा तक, वित्त से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा तक – कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों को प्रभावित कर रही है। एआई न केवल समाज की प्रगति को गति दे रही है, बल्कि व्यक्तियों के जीवन जीने और काम करने के तरीके को भी नया आकार दे रही है। यह एक ऐसी तकनीकी क्रांति है, जो हमारे समय की सबसे बड़ी शक्तियों में से एक है।

एआई: संभावनाओं के द्वार खोलता एक नया युग

एआई के विभिन्न अनुप्रयोगों पर प्रकाश डालते हुए, उपराष्ट्रपति ने बताया कि कैसे यह तकनीक स्वास्थ्य सेवा में बीमारियों का निदान करने, जलवायु परिवर्तन के मॉडलों को बेहतर बनाने, सुशासन को बढ़ावा देने, शिक्षा के तरीकों को बदलने और वित्तीय सेवाओं को अधिक कुशल बनाने में सहायक सिद्ध हो रही है। राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में भी इसकी भूमिका महत्वपूर्ण है। यह स्पष्ट है कि एआई समाज के लगभग हर पहलू पर अपनी छाप छोड़ रही है। यह तकनीक मानव सभ्यता के लिए नई संभावनाएं खोल रही है और हमें एक अधिक कुशल तथा उन्नत भविष्य की ओर ले जा रही है। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

जिम्मेदारी और नवाचार: भविष्य की राह

उपराष्ट्रपति ने अंत में इस बात पर भी जोर दिया कि इस नई तकनीकी प्रगति के साथ जिम्मेदारी का भाव भी जुड़ा है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि एआई का विकास और उपयोग नैतिक सिद्धांतों के अनुरूप हो और समाज के सभी वर्गों के लिए लाभकारी सिद्ध हो। नवाचार और जिम्मेदारी का यह संगम ही हमें एआई की पूरी क्षमता का उपयोग करने में मदद करेगा, जिससे एक बेहतर और अधिक समावेशी भविष्य का निर्माण हो सके। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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