सीमाओं की लकीरें सिर्फ कागज़ पर ही नहीं, ज़मीनी हकीकत पर भी गहरे निशान छोड़ जाती हैं। विकास की गंगा बहाने से पहले जब पत्थरों की दीवारें खड़ी हो जाएं, तो समझिए पेच फंस गया है। India Nepal Border Dispute: भारत-नेपाल सीमा पर स्थित प्रखंड मुख्यालय पंचायत में नाला निर्माण का मामला अब एक नए सीमा विवाद के चलते उलझ गया है, जिससे स्थानीय लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
India Nepal Border Dispute: दशकों पुराने सीमा विवाद की जड़ें
भारत और नेपाल के बीच रिश्तों की डोर सदियों पुरानी है, लेकिन कई बार छोटे-छोटे मुद्दे भी बड़े विवाद का रूप ले लेते हैं। ऐसा ही एक मामला बिहार के मधुबनी जिले में भारत-नेपाल सीमा पर स्थित मधवापुर प्रखंड मुख्यालय पंचायत में देखने को मिल रहा है। यहां एक आवश्यक नाले के निर्माण को लेकर सीमा विवाद का पेच फंस गया है, जिससे यह महत्वपूर्ण विकास कार्य अधर में लटक गया है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। इस विवाद के कारण नाले का निर्माण कार्य शुरू ही नहीं हो पा रहा है, जिसका सीधा असर स्थानीय निवासियों पर पड़ रहा है।
बताया जा रहा है कि प्रस्तावित नाला निर्माण स्थल भारत और नेपाल दोनों देशों की सीमाओं के करीब पड़ता है। निर्माण शुरू होने से पहले ही नेपाल की ओर से सीमा संबंधी आपत्तियां उठाई गई हैं, जिसके चलते भारतीय प्रशासन को कार्य रोकने पर मजबूर होना पड़ा है। यह स्थिति दोनों देशों के बीच स्थानीय स्तर पर समन्वय की कमी को उजागर करती है।
मधवापुर में अटकलें और आरोप
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह नाला जल निकासी और स्वच्छता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। मानसून के दौरान जल जमाव की समस्या से निजात पाने के लिए इस नाले का निर्माण बेहद जरूरी है। एक ग्रामीण ने बताया, “हमें उम्मीद थी कि इस बार हमारे गांव में जल निकासी की समस्या से मुक्ति मिलेगी, लेकिन यह सीमा विवाद ने हमारी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।” विकास कार्य में देरी से लोगों में निराशा और गुस्सा है।
प्रखंड प्रशासन के सूत्रों के अनुसार, सीमा विवाद को सुलझाने के लिए दोनों देशों के स्थानीय अधिकारियों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। सीमा स्तंभों की स्थिति और राजस्व रिकॉर्ड की जांच भी की जा रही है ताकि विवाद की वास्तविक जड़ तक पहुंचा जा सके। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। इस गतिरोध के चलते नाले के निर्माण में और अधिक विलंब होने की आशंका है, जो गर्मी और फिर आने वाले मानसून को देखते हुए चिंता का विषय है।
समाधान की राह
इस पूरे मामले में केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकारों को हस्तक्षेप करना होगा ताकि भारत-नेपाल सीमा पर इस तरह के स्थानीय मुद्दों को जल्द से जल्द सुलझाया जा सके। सीमा सुरक्षा बल (SSB) और अन्य संबंधित एजेंसियां भी इस विवाद के निपटारे में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को सक्रिय होकर दोनों देशों के उच्चाधिकारियों से संपर्क साधने की जरूरत है ताकि इस महत्वपूर्ण कार्य को बिना किसी बाधा के पूरा किया जा सके और आम जनता को राहत मिल सके। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



