Old Pension Scheme: ज़िंदगी की साँझ ढले, जब सहारे की आस होती है, तब सरकारी वादों की कसौटी पर खरी उतरने वाली एक पीढ़ी अपने हक़ के लिए सड़क पर उतर आती है। ऐसा ही कुछ नज़ारा इन दिनों बिहार की धरती पर दिख रहा है, जहाँ शिक्षक अपने भविष्य की सुरक्षा के लिए एकजुट हुए हैं।
Old Pension Scheme: बिहार में शिक्षकों का हुंकार, पुरानी पेंशन योजना की बहाली तक जारी रहेगा आंदोलन
Old Pension Scheme: शिक्षकों का संकल्प और भविष्य की रणनीति
मधुबनी: बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ मूल की जिला इकाई ने बुधवार को नगर निगम विवाह भवन के सभागार में एक महत्वपूर्ण ‘संकल्प दिवस’ कार्यक्रम का आयोजन किया। इस अवसर पर हजारों की संख्या में शिक्षक और शिक्षिकाएं उपस्थित हुए, जिन्होंने एक स्वर में पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) की बहाली, ग्रेच्युटी और अर्जित अवकाश जैसी सुविधाओं की मांग की। संघ के पदाधिकारियों ने स्पष्ट किया कि जब तक उनकी ये जायज माँगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक उनका यह शिक्षक आंदोलन अनवरत जारी रहेगा।
शिक्षकों ने अपनी दयनीय स्थिति को साझा करते हुए बताया कि नई पेंशन प्रणाली के तहत उन्हें भविष्य की कोई सुरक्षा नहीं मिल रही है, जिससे उनके बुढ़ापे का जीवन अनिश्चितता से भरा हुआ है। कार्यक्रम में उपस्थित सदस्यों ने हाथों में तख्तियां लेकर अपनी मांगों के समर्थन में नारे लगाए और सरकार से तत्काल इस दिशा में ठोस कदम उठाने का आग्रह किया। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। संघ के जिलाध्यक्ष ने कहा कि शिक्षकों ने अपना पूरा जीवन समाज और राष्ट्र के निर्माण में लगा दिया है, लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। यह स्थिति अस्वीकार्य है।
संघ की प्रमुख माँगें और सरकार पर दबाव
‘संकल्प दिवस’ कार्यक्रम में कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए। इनमें पुरानी पेंशन योजना की पूर्ण बहाली, सेवानिवृत्त शिक्षकों को ग्रेच्युटी का लाभ, और अर्जित अवकाश के बदले नगद भुगतान की सुविधा शामिल है। संघ ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार जल्द ही उनकी मांगों पर विचार नहीं करती है, तो वे राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ने पर मजबूर होंगे।
शिक्षक नेताओं ने विभिन्न जिलों से आए प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह केवल कुछ शिक्षकों की मांग नहीं है, बल्कि यह उन लाखों परिवारों के भविष्य का सवाल है, जो सरकारी सेवा में अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा लगा चुके हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि वे तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक उनकी लंबित माँगें पूरी नहीं हो जातीं। इस शिक्षक आंदोलन को व्यापक जन समर्थन भी मिल रहा है, क्योंकि समाज का एक बड़ा वर्ग मानता है कि शिक्षकों के साथ न्याय होना चाहिए। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
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