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दिसम्बर, 25, 2025

Bihar Land Mutation: पटना में हज़ारों दाखिल-खारिज मामले लंबित, फुलवारी शरीफ़ की स्थिति सबसे बदतर

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बिहार की ज़मीन पर लटकी तलवार, हज़ारों लोगों के सपनों पर छाया अनिश्चितता का बादल। जब सरकारी दफ़्तरों की फ़ाइलों में ही ज़मीन के काग़ज़ात खो जाएं, तो आम आदमी की उम्मीदें कैसे परवान चढ़ें? पटना में दाखिल-खारिज के लंबित मामले सिर्फ़ आंकड़े नहीं, बल्कि हज़ारों परिवारों की बेबसी की कहानी बयां करते हैं।

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Bihar Land Mutation: पटना में हज़ारों दाखिल-खारिज मामले लंबित, फुलवारी शरीफ़ की स्थिति सबसे बदतर

पटना। राजधानी पटना में Bihar Land Mutation: भूमि संबंधी मामलों की जटिलता लगातार बढ़ती जा रही है। विशेषकर दाखिल-खारिज (म्यूटेशन) के हज़ारों मामले विभिन्न अंचलों में लंबित पड़े हैं, जिससे ज़मीन मालिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यह स्थिति न केवल संपत्ति के हस्तांतरण को बाधित कर रही है, बल्कि भू-अभिलेखों की शुद्धता पर भी सवाल खड़े कर रही है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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Bihar Land Mutation: पटना अंचल में लंबित मामलों का विस्तृत विश्लेषण

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पटना ज़िले के कई अंचलों में परिमार्जन प्लस के तहत दाखिल-खारिज के हज़ारों मामले अभी भी अनसुलझे हैं। बिहटा अंचल में 2010 मामले, संपतचक में 1267, नौबतपुर में 1635, धनरूआ में 1335, फुलवारी शरीफ़ में 1397 और दानापुर में 1130 मामलों का निबटारा बाकी है। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि यह समस्या किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे ज़िले को प्रभावित कर रही है। इनमें फुलवारी शरीफ़ की स्थिति सबसे चिंताजनक है, जहां लंबित मामलों की संख्या अपेक्षाकृत अधिक है और निबटारे की प्रक्रिया धीमी चल रही है।

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लंबे समय से लंबित ये मामले न केवल ज़मीन मालिकों को उनकी संपत्ति पर पूर्ण अधिकार से वंचित कर रहे हैं, बल्कि खरीद-बिक्री में भी बाधा बन रहे हैं। कई बार इन्हीं लंबित राजस्व मामलों के कारण अदालती मुक़दमेबाज़ी भी बढ़ जाती है, जिससे आम लोगों को आर्थिक और मानसिक परेशानी झेलनी पड़ती है।

भू-अभिलेखों की शुद्धता और पारदर्शिता की चुनौती

बिहार सरकार द्वारा भूमि सुधारों और भू-अभिलेखों के डिजिटलीकरण के लिए कई पहल की गई हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर इनका क्रियान्वयन अभी भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। दाखिल-खारिज जैसे मौलिक कार्य में देरी न केवल व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि लोगों का विश्वास भी कमज़ोर करती है। इस समस्या के पीछे कर्मचारियों की कमी, तकनीकी ख़राबी या प्रक्रियागत जटिलताएं प्रमुख कारण हो सकती हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

सरकार को इन लंबित मामलों के त्वरित निबटारे के लिए विशेष अभियान चलाने और संबंधित अधिकारियों को जवाबदेह ठहराने की ज़रूरत है। डिजिटलीकरण के माध्यम से पारदर्शिता लाने और प्रक्रियाओं को सरल बनाने पर ज़ोर देना होगा ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

इन आंकड़ों से यह भी स्पष्ट होता है कि बिहार में भूमि सुधारों को और गति देने की आवश्यकता है। ज़मीन संबंधी विवादों का समाधान न केवल आर्थिक विकास के लिए ज़रूरी है, बल्कि सामाजिक शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। अधिकारियों को चाहिए कि वे इन मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निबटाएं और जनता को बेवजह की परेशानियों से मुक्ति दिलाएं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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