Bihar Driving License: बिहार की सड़कें अब सिर्फ पुरुषों की बपौती नहीं रही, यहां की महिलाएं भी ड्राइविंग सीट पर बैठकर आत्मनिर्भरता की नई इबारत लिख रही हैं। परिवहन विभाग के आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़ी है।
Bihar Driving License: महिला चालकों की बढ़ती संख्या बनी नई पहचान
बिहार में ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करने वाली महिलाओं की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई है। यह बदलाव न सिर्फ सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि राज्य की परिवहन व्यवस्था में भी एक नया अध्याय जोड़ रहा है। पहले जहां ड्राइविंग को पुरुषों का क्षेत्र माना जाता था, वहीं अब महिलाएं भी पूरे आत्मविश्वास के साथ इस चुनौती को स्वीकार कर रही हैं। परिवहन कार्यालयों में अब टेस्टिंग के दौरान महिलाओं को कतार में अधिक देर तक खड़ा ना रहना पड़े, इसका विशेष ध्यान रखा जाता है। इसके साथ ही वे कंप्यूटर पर बैठकर पूरे आत्मविश्वास के साथ टेस्ट भी देती हैं, जो उनकी बढ़ती जागरूकता और सशक्तिकरण का प्रमाण है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
मुजफ्फरपुर जिले के आंकड़े तो और भी चौंकाने वाले हैं। यहां की 39 महिला चालकों के पास व्यावसायिक (कॉमर्शियल) परमिट है, जो उन्हें यात्रियों या सामान का परिवहन करने की अनुमति देता है। यह दर्शाता है कि महिलाएं सिर्फ निजी वाहनों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि व्यावसायिक क्षेत्रों में भी अपनी पहचान बना रही हैं।
अंतर्राष्ट्रीय उड़ान भरती बिहार की महिला चालक
इतना ही नहीं, मुजफ्फरपुर में 12 महिलाओं के पास तो अंतर्राष्ट्रीय ड्राइविंग परमिट भी है। यह परमिट उन्हें विदेश में भी वाहन चलाने की सुविधा प्रदान करता है, जो उनकी वैश्विक सोच और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। ये आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि बिहार में महिला चालक केवल संख्या में ही नहीं, बल्कि कौशल और क्षमता में भी किसी से पीछे नहीं हैं। परिवहन विभाग की सरल प्रक्रियाएं और महिलाओं के प्रति संवेदनशील रवैया भी इस बदलाव में सहायक सिद्ध हो रहा है। देशज टाइम्स बिहार का N0.1 आप पढ़ रहे हैं।
यह रुझान न केवल महिलाओं के लिए नए रोजगार के अवसर पैदा कर रहा है, बल्कि उन्हें सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त भी बना रहा है। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। बिहार की ये महिला चालक वास्तव में एक नए और प्रगतिशील समाज की नींव रख रही हैं, जहां लैंगिक रूढ़िवादिता टूट रही है और समानता की भावना मजबूत हो रही है। इस बदलाव से निश्चित रूप से राज्य का समग्र विकास होगा और महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराएंगी।


