NSG Commando: भारत के सबसे विशिष्ट और बहादुर सुरक्षा बलों में से एक, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) कमांडो की ट्रेनिंग किसी चुनौती से कम नहीं है। हर कदम पर खतरा और हर सांस में जज्बा लिए ये कमांडो देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। क्या आप जानते हैं कि आखिर कैसे तैयार होते हैं ये जांबाज ‘ब्लैक कैट’ कमांडो और उनकी चयन प्रक्रिया कितनी कठिन होती है?
NSG कमांडो: भारत के जांबाज ‘ब्लैक कैट’ कैसे बनते हैं देश के रक्षक?
NSG Commando बनने का कठिन रास्ता
भारत की सुरक्षा और शांति बनाए रखने में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) का अहम योगदान है। इन्हें ‘ब्लैक कैट’ कमांडो के नाम से भी जाना जाता है, जो अपनी फुर्ती, बहादुरी और असाधारण प्रशिक्षण के लिए प्रसिद्ध हैं। ये कमांडो आतंकवाद विरोधी अभियानों, बंधक बचाव और वीआईपी सुरक्षा जैसी संवेदनशील जिम्मेदारियों को निभाते हैं। एनएसजी में सीधे भर्ती नहीं होती, बल्कि भारतीय सेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) से सर्वश्रेष्ठ कर्मियों को डेपुटेशन पर चुना जाता है। इस बल में शामिल होने के लिए स्वयंसेवक ही आवेदन करते हैं, और उन्हें सबसे कठिन चयन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह चयन प्रक्रिया इतनी कठोर होती है कि केवल शीर्ष 10-15% आवेदक ही आगे बढ़ पाते हैं। इसमें शारीरिक और मानसिक सहनशक्ति के कई स्तरों का परीक्षण किया जाता है, जिसमें उच्च दबाव वाले वातावरण में निर्णय लेने की क्षमता भी शामिल है। लेटेस्ट एजुकेशन और जॉब अपडेट्स के लिए यहां क्लिक करें
एनएसजी कमांडो के प्रशिक्षण और योग्यता के चरण
एनएसजी कमांडो बनने के लिए प्राथमिक योग्यता यह है कि व्यक्ति पहले से ही भारतीय सेना या किसी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (जैसे सीआरपीएफ, बीएसएफ आदि) का हिस्सा होना चाहिए। उनकी उम्र 24 से 35 वर्ष के बीच होनी चाहिए और उनके पास अपने मूल बल में कम से कम कुछ वर्षों का सेवा अनुभव होना अनिवार्य है। एक बार जब कोई स्वयंसेवक प्रारंभिक जांच पास कर लेता है, तो उसे 14 महीने के गहन प्रशिक्षण कार्यक्रम से गुजरना पड़ता है। यह प्रशिक्षण दुनिया के सबसे कठिन सैन्य प्रशिक्षणों में से एक माना जाता है, जिसमें दो प्रमुख चरण होते हैं:
- मूल प्रशिक्षण (Basic Training): यह 90 दिनों का चरण होता है जिसमें शारीरिक फिटनेस को चरम पर ले जाया जाता है। इसमें दौड़ना, कूदना, चढ़ना, निहत्थे युद्ध (unarmed combat) और विभिन्न बाधा कोर्स शामिल हैं। इस चरण में, कमांडो को हथियार चलाने, नेविगेशन और संचार कौशल में भी महारत हासिल करनी होती है।
- उन्नत प्रशिक्षण (Advanced Training): यह लगभग 9-10 महीने का चरण होता है, जो कमांडो को आतंकवाद विरोधी अभियानों और विशेष परिस्थितियों के लिए तैयार करता है। इसमें क्लोज क्वार्टर कॉम्बैट (CQC), बंधक बचाव, विस्फोटक उपकरणों का पता लगाना और निष्क्रिय करना, पैराशूट जंपिंग, स्निपिंग और मनोवैज्ञानिक युद्ध कौशल शामिल हैं। इस चरण में, उन्हें लगातार तनाव और नींद की कमी की स्थिति में काम करने का अभ्यास कराया जाता है ताकि वे वास्तविक परिस्थितियों में शांत और प्रभावी रह सकें। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
एनएसजी प्रशिक्षण के दौरान, कई मनोवैज्ञानिक परीक्षण भी किए जाते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रत्येक कमांडो मानसिक रूप से मजबूत और दबाव में भी सही निर्णय लेने में सक्षम है। प्रशिक्षण में सफलता की दर बहुत कम होती है, जो इसकी अत्यधिक कठोरता को दर्शाता है। जो कमांडो यह पूरा प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा करते हैं, वे देश के सबसे बहादुर और निडर योद्धाओं में से एक बन जाते हैं। वे न केवल शारीरिक रूप से फिट होते हैं, बल्कि मानसिक रूप से भी इतने सुदृढ़ होते हैं कि किसी भी चुनौती का सामना कर सकें। एनएसजी कमांडो देश की सुरक्षा के लिए एक मजबूत दीवार की तरह खड़े रहते हैं, हर खतरे से निपटने के लिए हर पल तैयार। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।


