Bihar Vegetable Export: धरती के गर्भ से निकली हरियाली जब सात समंदर पार का सफर तय करती है, तो सिर्फ उपज नहीं, बल्कि खुशहाली का नया अध्याय लिखती है। अब बिहार की हरी-भरी सब्जियों का स्वाद केवल राज्य या देश की सीमाओं तक सीमित नहीं रहेगा। कृषि के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति की सुगबुगाहट शुरू हो गई है, जिसका लक्ष्य बिहार की सब्जियों को ‘लोकल से ग्लोबल’ बनाना है।
बिहार वेजिटेबल एक्सपोर्ट: ‘लैब टू लैंड’ मॉडल से क्रांति
राज्य के कृषि विभाग ने एक महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है, जिसके तहत खेत से लेकर उपभोक्ता की थाली तक सब्जियों की गुणवत्ता और उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। यह सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि किसानों के लिए समृद्धि का नया द्वार खोलने की दिशा में एक बड़ा कदम है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। इस ‘लैब टू लैंड’ मॉडल के जरिए, वैज्ञानिकों द्वारा विकसित उन्नत बीज और तकनीक सीधे किसानों तक पहुंचाई जाएंगी, जिससे उत्पादन में वृद्धि और गुणवत्ता में सुधार हो सके।
इस मास्टर प्लान का मुख्य उद्देश्य केवल उत्पादन बढ़ाना नहीं, बल्कि उपज को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप तैयार करना भी है। इसके लिए कोल्ड स्टोरेज, पैकेजिंग और परिवहन की आधुनिक सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। सरकार का मानना है कि इससे न केवल बिहार के कृषि उत्पादों को वैश्विक बाजार मिलेगा, बल्कि किसानों की आय में भी महत्वपूर्ण वृद्धि होगी। यह पहल बिहार की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नया आयाम देगी। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
उच्च गुणवत्ता और अंतर्राष्ट्रीय पहचान की ओर
बिहार की भौगोलिक स्थिति और उपजाऊ मिट्टी सब्जियों की खेती के लिए अत्यंत अनुकूल है। यहां उगाए जाने वाले परवल, भिंडी, टमाटर, आलू और हरी मिर्च की गुणवत्ता देशभर में सराही जाती है। इस योजना के तहत इन सब्जियों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग पर विशेष जोर दिया जाएगा, ताकि वे वैश्विक मंच पर अपनी अलग पहचान बना सकें। इसके लिए खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जो किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य दिलाने में सहायक होंगी। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। इस तरह, बिहार सिर्फ अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति ही नहीं करेगा, बल्कि दुनिया भर के बाजारों में अपनी पहचान स्थापित करेगा।



