Bihar Property Rules: आसमान छूते सपनों को ज़मीनी हकीकत बनाना अक्सर टेढ़ी खीर साबित होता है, खासकर जब बात फ्लैट और ज़मीन की उलझनों की हो। बिहार में हज़ारों अपार्टमेंट खरीदारों की यही सबसे बड़ी पीड़ा रही है, जहाँ रजिस्ट्री के बाद भी ज़मीन की जमाबंदी एक अबूझ पहेली बनी हुई थी। अब बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने एक ऐसा ऐतिहासिक कदम उठाया है, जो इस समस्या का स्थायी समाधान प्रस्तुत करता है।
यह नई नियमावली बिहार के हजारों फ्लैट मालिकों के लिए एक वरदान साबित हो सकती है, जिनकी फ्लैट खरीद और रजिस्ट्री के बाद भी ज़मीन की जमाबंदी अटकी हुई थी। राजस्व विभाग की इस पहल से अपार्टमेंट से जुड़ी ज़मीनों के दाखिल-खारिज की प्रक्रिया अब बेहद सरल और पारदर्शी बन जाएगी। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
दरअसल, पहले हर फ्लैट मालिक को अपने अपार्टमेंट के भूखंड के छोटे से हिस्से के लिए अलग से दाखिल-खारिज कराना पड़ता था, जो एक लंबी और थकाऊ प्रक्रिया थी। इस वजह से कई बार खरीदारों को अनावश्यक परेशानियों का सामना करना पड़ता था।
Bihar Property Rules: अपार्टमेंट मालिकों को नई नियमावली से मिलेगी बड़ी सहूलियत
नई नियमावली के तहत, अब अपार्टमेंट के किसी एक फ्लैट मालिक को पूरे भूखंड का दाखिल-खारिज कराने की आवश्यकता नहीं होगी। यह एक बड़ा बदलाव है जो प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करेगा। अब, अपार्टमेंट के हर मालिक को अपने हिस्से की ज़मीन के लिए अलग-अलग आवेदन नहीं करना होगा।
इस महत्वपूर्ण निर्णय से न केवल समय की बचत होगी, बल्कि भ्रष्टाचार की गुंजाइश भी कम होगी। सरकार का यह कदम शहरी विकास और संपत्ति हस्तांतरण को गति देने वाला माना जा रहा है। विशेष रूप से उन शहरों में जहां अपार्टमेंट संस्कृति तेजी से बढ़ रही है, यह बेहद उपयोगी साबित होगा। यह व्यवस्था सुनिश्चित करेगी कि भविष्य में Land Records Bihar में दर्ज सभी अपार्टमेंट भूखंड संबंधी जानकारी त्रुटिरहित रहे और मालिकों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।
संयुक्त जमाबंदी: क्या है नया प्रावधान?
नई व्यवस्था के अनुसार, अब बिल्डर या डेवलपर को अपार्टमेंट बनाने से पहले अपनी जमीन का दाखिल-खारिज कराना अनिवार्य होगा। इसके बाद, जब वे अपार्टमेंट बेचेंगे, तो खरीदारों को केवल अपने फ्लैट का दाखिल-खारिज कराना होगा, न कि पूरी जमीन का। जमीन की जमाबंदी बिल्डर के नाम पर ही रहेगी, लेकिन इसमें सभी फ्लैट मालिकों का नाम हिस्सा-वार दर्ज किया जाएगा। यह व्यवस्था राज्य में संपत्ति के अधिकारों को और मज़बूत करेगी, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
यह एक तरह से सह-स्वामित्व की अवधारणा को मजबूती देता है, जहां ज़मीन का मुख्य दाखिल-खारिज एक ही नाम पर रहता है, लेकिन उसके भीतर हिस्सेदारी स्पष्ट रूप से परिभाषित होती है। यह उन मामलों में विशेष रूप से सहायक होगा जहां एक बड़े भूखंड पर कई अपार्टमेंट इकाइयां बनाई गई हैं। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
दाखिल-खारिज की जटिलता अब हुई आसान
पहले, फ्लैट खरीदारों को अपनी रजिस्ट्री के बाद भी, उस भूखंड के लिए दाखिल-खारिज कराने के लिए अलग से मशक्कत करनी पड़ती थी, जिस पर उनका अपार्टमेंट बना है। कई बार भूखंड के मालिकों की मृत्यु या अन्य कानूनी जटिलताओं के कारण यह प्रक्रिया अधूरी रह जाती थी।
लेकिन अब राजस्व विभाग ने इस प्रक्रिया को सरल बनाते हुए, अपार्टमेंट के पूरे भूखंड को एक ही जमाबंदी में रखने का प्रावधान किया है। इससे फ्लैट मालिक केवल अपने फ्लैट के लिए ही दाखिल-खारिज आवेदन करेंगे, जबकि भूखंड का मालिकाना हक संयुक्त रूप से सभी फ्लैट मालिकों का होगा, जिसे मूल जमाबंदी में दर्शाया जाएगा। यह कदम Land Records Bihar में पारदर्शिता और सटीकता लाएगा, जिससे भविष्य में होने वाले विवादों की संख्या में भी कमी आएगी। इसलिए, अब फ्लैट खरीदने की सोच रहे लोगों को कागजी कार्रवाई की उलझनों से काफी हद तक मुक्ति मिलेगी, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ और आगे की राह
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह नियमावली बिहार में रियल एस्टेट सेक्टर को एक नई दिशा देगी। यह निवेशकों और खरीदारों दोनों के लिए विश्वास का माहौल बनाएगी। यह कदम सरकार की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (Ease of Doing Business) की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
इस नई व्यवस्था से उम्मीद है कि बिहार में संपत्ति पंजीकरण और दाखिल-खारिज से जुड़ी पुरानी कई समस्याएं समाप्त होंगी, और लोगों को अपनी संपत्ति के पूरे अधिकार आसानी से मिल सकेंगे।




