रंगमंच की दुनिया में जब कोई कहानी जीवंत होती है, तो वह केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि एक संस्कृति का प्रतिबिंब बन जाती है। इस बार पूर्वोत्तर के रंगमंच पर बिहार की माटी की खुशबू बिखेरने को तैयार है एक ऐसी ही गाथा। Bharat Rang Mahotsav: विश्व के सबसे प्रतिष्ठित नाट्य महोत्सवों में से एक, भारत रंग महोत्सव, अपने 25वें वर्ष की ओर अग्रसर है।
इस बार इस भव्य आयोजन के लिए मैथिली नाटक ‘जनकनंदिनी’ का चयन किया गया है, जिसका मंचन असम के नौगाँव में होगा। यह बिहार और विशेषकर मिथिलांचल के लिए गौरव का क्षण है। नाटक ‘जनकनंदिनी’ एक ऐसी प्रस्तुति है जो न केवल अपनी कथावस्तु बल्कि अपनी सांस्कृतिक जड़ों के कारण भी विशेष महत्व रखती है।
भारत रंग महोत्सव: क्यों है इतना महत्वपूर्ण यह आयोजन?
यह महोत्सव विश्व के सबसे बड़े नाट्य आयोजनों में गिना जाता है। नाटकों का चयन कई जटिल मापदंडों से गुजरता है, जो इसकी गुणवत्ता और प्रतिष्ठा को बनाए रखते हैं। वर्ष 2026 में इसका 25वां संस्करण मनाया जाएगा, जो रंगमंच कला के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगा।
मैथिली नाटक ‘जनकनंदिनी’ का चयन रंगमंच प्रेमियों के बीच खुशी की लहर लेकर आया है। यह दर्शाता है कि क्षेत्रीय भाषाओं और उनकी कला को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान मिल रही है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। ‘जनकनंदिनी’ के माध्यम से मिथिला की लोक संस्कृति और समृद्ध परंपरा को एक व्यापक दर्शक वर्ग तक पहुंचाने का अवसर मिलेगा।
इस मैथिली नाटक की प्रस्तुति से न केवल स्थानीय कलाकारों को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि यह अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के नाट्य समूहों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगा। यह आयोजन भारतीय रंगमंच की विविधता और गहराई को प्रदर्शित करता है। चयन प्रक्रिया इतनी कठोर होती है कि केवल सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनों को ही मंच पर आने का मौका मिलता है। यह उपलब्धि ‘जनकनंदिनी’ की टीम के समर्पण और कलात्मक उत्कृष्टता को प्रमाणित करती है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: https://deshajtimes.com/news/national/
इस बार असम के नौगाँव में होने वाला मंचन स्थानीय लोगों के साथ-साथ पूरे देश के कला प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र होगा। यह बिहार के नाट्य समुदाय के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और इस बात का प्रमाण है कि क्षेत्रीय कलाएं अब राष्ट्रीय फलक पर अपनी पहचान बना रही हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। भारत रंग महोत्सव जैसे मंच ऐसे ही प्रतिभावान कार्यों को उजागर करने का काम करते हैं।
मिथिला की संस्कृति का विश्व मंच पर प्रतिनिधित्व
‘जनकनंदिनी’ का चयन केवल एक नाटक का चयन नहीं है, बल्कि यह मिथिला की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का वैश्विक मंच पर प्रतिनिधित्व है। यह नाटक दर्शकों को एक अनूठे अनुभव से रूबरू कराएगा, जहाँ वे सीता की भूमि की कहानियों और परंपराओं को करीब से महसूस कर पाएंगे। यह चयन बिहार के कला परिदृश्य में एक नए अध्याय की शुरुआत है, जो भविष्य में ऐसे और भी कई क्षेत्रीय नाटकों को राष्ट्रीय मंच पर आने के लिए प्रेरित करेगा।





