back to top
⮜ शहर चुनें
दिसम्बर, 25, 2025

न्यूजीलैंड के साथ मुक्त व्यापार समझौता: भारत कैसे चीन को देगा मात?

spot_img
spot_img
- Advertisement - Advertisement

Free Trade Agreement: भारत ने अमेरिकी उच्च टैरिफ के दबाव के बीच चीन के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को पुनर्संतुलित करने की दिशा में कदम बढ़ाया है, ताकि अमेरिकी बाजार पर अपनी निर्भरता कम कर चीन, रूस और अन्य देशों के बाजारों की ओर रुख किया जा सके। हालांकि, हालिया रिपोर्टें यह दर्शाती हैं कि इस पहल के बावजूद चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़ गया है, क्योंकि चीन से भारत का आयात तेजी से बढ़ा है जबकि भारतीय निर्यात कमजोर बना हुआ है। इस बीच, एक महत्वपूर्ण आर्थिक शोध ने बताया है कि भारत के पास न्यूजीलैंड जैसे महत्वपूर्ण बाजार में चीन की व्यापारिक पकड़ को चुनौती देने का एक बड़ा अवसर है, जो संभावित मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement) के माध्यम से संभव हो सकता है।

- Advertisement -

न्यूजीलैंड के साथ मुक्त व्यापार समझौता: भारत कैसे चीन को देगा मात?

आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की एक नई रिपोर्ट ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि भारत के पास चीन की चिंता बढ़ाने और उसकी वैश्विक व्यापारिक स्थिति को चुनौती देने का एक महत्वपूर्ण मौका है। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2024-25 में न्यूजीलैंड ने चीन से 10 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का आयात किया, जबकि भारत से उसने सिर्फ 71.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर का सामान खरीदा। न्यूजीलैंड का कुल आयात लगभग 50 अरब अमेरिकी डॉलर रहा, जो यह दर्शाता है कि भारत के पास इस बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की अपार संभावनाएँ हैं।

- Advertisement -

जीटीआरआई का विश्लेषण बताता है कि भारत-न्यूजीलैंड के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता भारतीय निर्यातकों के लिए कई क्षेत्रों में मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने के बड़े अवसर खोल सकता है। इन क्षेत्रों में कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, पेट्रोलियम उत्पाद, औद्योगिक रसायन, दवा एवं स्वास्थ्य सेवाएं, वस्त्र और परिधान, इलेक्ट्रॉनिक व विद्युत उपकरण, मोटर वाहन, परिवहन उपकरण, वैमानिकी, उच्च मूल्य विनिर्माण और फर्नीचर शामिल हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

- Advertisement -
यह भी पढ़ें:  2025: Indian Real Estate के लिए एक स्वर्णिम युग

मुक्त व्यापार समझौता और भारत के लिए नए व्यापारिक क्षितिज

जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव का कहना है कि कई ऐसे सेक्टर हैं जहां चीनी प्रतिस्पर्धा लगभग नगण्य है। इसके बावजूद, भारत का निर्यात इन क्षेत्रों में केवल 1 लाख से 50 लाख अमेरिकी डॉलर के बीच सीमित है। यह आंकड़ा इस बात का संकेत है कि न्यूजीलैंड का यह बाजार किसी स्थापित आपूर्तिकर्ता द्वारा बंद नहीं है, बल्कि अब तक काफी हद तक अनछुआ रहा है, जो भारत के लिए एक बड़ी व्यापारिक खिड़की खोलता है।

उदाहरण के तौर पर, भारत दुनिया के सबसे बड़े परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पाद निर्यातकों में से एक है, जिसका वैश्विक निर्यात 69.2 अरब अमेरिकी डॉलर का है। वहीं, न्यूजीलैंड हर साल करीब 6.1 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के पेट्रोलियम उत्पाद आयात करता है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि वह भारत से केवल 23 लाख अमेरिकी डॉलर का आयात करता है, जबकि चीन से 18.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर की आपूर्ति होती है। यह स्थिति भारत के लिए अपनी निर्यात क्षमता को भुनाने का एक स्पष्ट अवसर प्रस्तुत करती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के लिए असली चुनौती यह है कि वह इस एफटीए को लक्षित निर्यात प्रोत्साहन, मानक सहयोग, नियामक सरलता और बेहतर लॉजिस्टिक समर्थन के साथ जोड़े। यह रणनीति भारत को न्यूजीलैंड जैसे बाजारों में चीन पर निर्भरता कम करने और वैश्विक व्यापार में अपनी स्थिति को मजबूत बनाने में मदद करेगी। रियल-टाइम बिजनेस – टेक्नोलॉजी खबरों के लिए यहां क्लिक करें https://deshajtimes.com/news/business/

भारत-न्यूजीलैंड व्यापार संबंध: चुनौतियाँ और समाधान

भारत और न्यूजीलैंड के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए, केवल एक मुक्त व्यापार समझौता ही काफी नहीं होगा। भारत को अपने उत्पादों की गुणवत्ता, प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण और कुशल आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन पर भी ध्यान देना होगा। न्यूजीलैंड एक छोटा लेकिन संपन्न बाजार है जो उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों और सेवाओं की तलाश में रहता है। भारत के लिए यह आवश्यक है कि वह न्यूजीलैंड की विशिष्ट जरूरतों और मानकों को समझे, और तदनुसार अपने निर्यात रणनीति को अनुकूलित करे। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

यह भी पढ़ें:  भारत-न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौता: चीन की बेचैनी बढ़ाने का नया रास्ता!

इसके अतिरिक्त, व्यापारिक बाधाओं को कम करने और निवेश को बढ़ावा देने के लिए दोनों देशों के बीच निरंतर संवाद महत्वपूर्ण होगा। व्यापार मंडलों और सरकारी निकायों के बीच सहयोग से नए व्यापार मार्ग खुल सकते हैं और भारतीय व्यवसायों को न्यूजीलैंड के बाजार में प्रवेश करने में मदद मिल सकती है। भारत को न्यूजीलैंड के साथ कृषि उत्पादों के लिए स्वच्छता और पादप-स्वच्छता मानकों पर भी काम करना होगा, जो अक्सर व्यापार में बाधा बनते हैं। यह साझेदारी न केवल व्यापार घाटे को कम करने में मदद करेगी बल्कि भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति को भी गति प्रदान करेगी। यह व्यापारिक साझेदारी भारत को वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में एक मजबूत स्थिति में स्थापित करने में सहायक होगी। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

- Advertisement -

जरूर पढ़ें

2026 से पहले फोन को दें क्लीन स्टार्ट: Digital Hygiene से बदलें अपनी आदतें

Digital Hygiene: नए साल 2026 की दस्तक से पहले अपने डिजिटल जीवन को व्यवस्थित...

OTT Release पर उपलब्ध: ये 5 फिल्में जिन्होंने 100 साल पहले ही बता दिया था भविष्य का हाल!

OTT Release News: सिनेमाई दुनिया हमेशा से ही दर्शकों को एक नए आयाम में...

विजय हजारे ट्रॉफी में विराट कोहली का तूफान, 2027 वर्ल्ड कप की तैयारी में जड़ा धमाकेदार शतक!

Virat Kohli: भारतीय क्रिकेट के रन मशीन विराट कोहली ने एक बार फिर अपने...

Saas Bahu Aur Saazish: टीवी जगत का सबसे बड़ा राज़दार, खोलता है हर दिन सितारों के किस्से!

Saas Bahu Aur Saazish News: टेलीविजन की दुनिया में मसाला, ड्रामा और परदे के...
error: कॉपी नहीं, शेयर करें