ओडिशा नक्सल एनकाउंटर: कैसे मिली सुरक्षाबलों को कामयाबी?
ओडिशा के कंधमाल जिले में सुरक्षाबलों ने गुरुवार को एक बड़े नक्सल विरोधी अभियान को अंजाम दिया है। इस कार्रवाई में प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) के केंद्रीय समिति सदस्य और ओडिशा ऑपरेशन प्रमुख गणेश उइके सहित चार खूंखार नक्सली मारे गए हैं। यह पिछले तीन दिनों में हुई दूसरी बड़ी मुठभेड़ है, जिसके साथ ही ढेर हुए नक्सलियों की कुल संख्या छह हो गई है। इस सफलता ने राज्य में नक्सली गतिविधियों को बड़ा झटका दिया है, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, यह मुठभेड़ गंजाम–कंधमाल सीमा क्षेत्र में तब शुरू हुई जब सुरक्षा एजेंसियों को नक्सलियों की मौजूदगी की सटीक खुफिया सूचना प्राप्त हुई। इसके तुरंत बाद, स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG), सीआरपीएफ (CRPF), बीएसएफ (BSF) और कंधमाल पुलिस की एक संयुक्त टीम ने इलाके में व्यापक तलाशी अभियान शुरू किया। गुरुवार सुबह अलग-अलग स्थानों पर रुक-रुक कर हुई गोलीबारी में सुरक्षाबलों ने चार नक्सलियों को मार गिराया।
कौन था गणेश उइके और कितना बड़ा है यह झटका?
मारे गए नक्सलियों में 69 वर्षीय गणेश उइके एक प्रमुख नाम है, जो तेलंगाना के नलगोंडा जिले का निवासी था। वह सीपीआई (माओवादी) की केंद्रीय समिति का एक सक्रिय और अत्यंत प्रभावशाली सदस्य था, जो ओडिशा में संगठन की समस्त गतिविधियों का संचालन कर रहा था। उसकी मौत को माओवादी कैडर के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
ओडिशा के पुलिस महानिदेशक (DGP) वाई. बी. खुरानिया ने बताया कि इस सफल कार्रवाई के दौरान दो इंसास राइफल और एक .303 राइफल बरामद की गई हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह माओवादी संगठन के लिए एक बहुत बड़ा झटका है और इससे राज्य में उनकी रीढ़ टूट गई है।
यह ध्यान देने योग्य है कि पिछले तीन वर्षों में, सुरक्षाबलों ने खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर माओवादी नेतृत्व को लगातार निशाना बनाया है। कभी 21 केंद्रीय समिति सदस्यों वाला यह संगठन अब घटकर पाँच से भी कम रह गया है। संगठन के भीतर नए कैडर तैयार करने में भी गंभीर चुनौतियां सामने आ रही हैं। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
इससे पहले बुधवार को भी कंधमाल जिले के बेलघर थाना क्षेत्र में एक और मुठभेड़ हुई थी, जिसमें दो नक्सली ढेर हो गए थे। अधिकारियों ने पुष्टि की है कि इन दोनों ही कार्रवाइयों में किसी भी सुरक्षाकर्मी के हताहत होने की कोई सूचना नहीं है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस कार्रवाई को नक्सलवाद के खिलाफ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि करार दिया है। उन्होंने कहा है कि देश 31 मार्च 2026 से पहले पूरी तरह से नक्सल मुक्त हो जाएगा और इस अभियान को “नक्सल मुक्त भारत” की दिशा में एक अहम कदम बताया है।
फ़िलहाल, पूरे इलाके में सघन तलाशी अभियान जारी है। सुरक्षा एजेंसियां यह आशंका भी जता रही हैं कि कुछ और नक्सली अभी भी आस-पास के घने जंगलों में छिपे हो सकते हैं, जिनकी तलाश में टीमें लगातार जुटी हुई हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।




