Scientific Farming: यह महज एक संगोष्ठी नहीं, बल्कि कृषि क्रांति का बिगुल है, जो अब बिहार के किसानों की तकदीर बदलने को तैयार है। भागलपुर के ई-किसान भवन में आयोजित ‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान व जय अनुसंधान’ विषयक किसान संगोष्ठी ने किसानों को प्राकृतिक और वैज्ञानिक खेती के आधुनिक तौर-तरीकों से रूबरू कराया। कार्यक्रम में कृषि विशेषज्ञों ने ऐसी विधियों की जानकारी दी, जिनसे न केवल उत्पादन बढ़ेगा बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहेगी। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
Scientific Farming: कृषि क्रांति का नया अध्याय
संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य किसानों को नवीनतम कृषि तकनीकों और अनुसंधान से जोड़ना था। विशेषज्ञों ने बताया कि कैसे फसल चक्र, उन्नत बीज और जल प्रबंधन की आधुनिक प्रणालियां किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती हैं। रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करके जैविक खेती को बढ़ावा देने पर भी विशेष जोर दिया गया, जिससे भूमि की गुणवत्ता में सुधार होगा और उपभोक्ता को स्वस्थ उपज मिलेगी। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
आधुनिक खेती से आत्मनिर्भरता की राह
इस संगोष्ठी में विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों ने अपने शोधों और अनुभवों को साझा किया। उन्होंने मृदा परीक्षण, एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) और सूक्ष्म सिंचाई जैसी प्रणालियों के महत्व पर प्रकाश डाला। बताया गया कि किसान कैसे कम लागत में अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं और अपनी आय बढ़ा सकते हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह पहल किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
कार्यक्रम में उपस्थित किसानों ने विशेषज्ञों से सीधा संवाद किया और अपनी समस्याओं के समाधान पूछे। कई किसानों ने प्राकृतिक खेती के फायदों और उसके व्यावहारिक पहलुओं पर अपनी जिज्ञासाएं रखीं। विशेषज्ञों ने उन्हें खाद बनाने की विधि, फसल सुरक्षा के प्राकृतिक उपाय और बाजार से जुड़ाव के तरीकों के बारे में विस्तार से समझाया। कृषि क्षेत्र में बढ़ते नवाचारों को देखते हुए, यह जरूरी है कि किसानों को सही समय पर सही जानकारी मिले। इस तरह की संगोष्ठियां ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सहायक होती हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।




