CBI Chargesheet: न्याय की तलवार हमेशा देर से ही सही, पर अपनी धार दिखाती है। वर्दी के भीतर छिपी मनमानी अब बेनकाब हुई है, और कानून का शिकंजा उन पुलिसकर्मियों पर कसा है, जिन पर रक्षा करने का भार था, पर वे भक्षक बन बैठे।
CBI Chargesheet: कर्नल पर हमले के मामले में पंजाब पुलिस के चार अधिकारियों पर गिरी गाज, सीबीआई ने दायर किया आरोपपत्र
CBI Chargesheet: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाठ पर हुए कथित हमले के सिलसिले में पंजाब पुलिस के चार अधिकारियों के खिलाफ मोहाली की एक अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया है। यह मामला पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा सीबीआई को सौंपे जाने के बाद से सुर्खियों में था।
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, पुलिस निरीक्षक रॉनी सिंह सहित चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ यह आरोपपत्र दायर किया गया है। यह बड़ा घटनाक्रम पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा मामले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने के लगभग पांच महीने बाद सामने आया है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
कर्नल बाठ और उनके बेटे पर हमला इसी साल 13 और 14 मार्च की दरमियानी रात को हुआ था, जब वे पटियाला में सड़क किनारे एक ढाबे पर खाना खा रहे थे। एक मामूली पार्किंग विवाद ने बड़े झगड़े का रूप ले लिया था। कर्नल बाठ ने उस समय आरोप लगाया था कि पंजाब पुलिस के कुछ जवानों ने उन पर और उनके बेटे पर हमला किया, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आईं।
CBI Chargesheet: कैसे फंसी पंजाब पुलिस के चार अधिकारी?
इस हमले में कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाठ का हाथ टूट गया था, जबकि उनके बेटे के सिर पर चोट आई थी। यह पटियाला हमला पुलिस की कार्यप्रणाली और नागरिकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर गया था। कर्नल बाठ ने घटना के तुरंत बाद ही पंजाब पुलिस पर निष्पक्ष जांच न करने का आरोप लगाया था। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। उनकी आशंका अब सीबीआई की कार्रवाई से पुष्ट होती दिख रही है।
कानून का शिकंजा और न्याय की उम्मीद
सीबीआई की यह कार्रवाई इस बात का संकेत है कि देश में कानून का राज सर्वोच्च है और कोई भी, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं है। इस घटना ने एक बार फिर वर्दी के सम्मान को ठेस पहुंचाई थी, लेकिन अब न्याय की उम्मीद जगी है। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें https://deshajtimes.com/news/national/। यह मामला दिखाता है कि किस तरह न्यायपालिका ने आम आदमी और एक सैनिक के अधिकारों की रक्षा की है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। अब देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या होता है और दोषी पुलिसकर्मियों को कितनी सजा मिलती है।





