पेट की आग को बुझाने और आत्मनिर्भरता की लौ जलाने का एक अनोखा संगम। सरकारी दफ्तरों की भागदौड़ में घर के खाने का स्वाद, अब कोई सपना नहीं।
Didi Ki Rasoi Bihar: नए साल में बिहार के अनुमंडल कार्यालयों में दीदी की रसोई खुलने जा रही है, जिससे आम लोगों और सरकारी कर्मचारियों को घर जैसे स्वादिष्ट और सस्ते भोजन का लाभ मिल सकेगा।
Didi Ki Rasoi Bihar: अनुमंडल कार्यालयों में अब मिलेगा ‘घर जैसा स्वाद’, ‘दीदी की रसोई’ से बदलेगी तस्वीर
Didi Ki Rasoi Bihar: सरकारी दफ्तरों में अब खाने की चिंता खत्म
बिहार के विभिन्न अनुमंडल कार्यालयों में नए साल से ‘दीदी की रसोई’ की शुरुआत होने जा रही है। यह पहल न केवल सरकारी कर्मियों बल्कि कार्यालय आने वाले आम लोगों के लिए भी एक बड़ी राहत लेकर आएगी। इस योजना के तहत, लोगों को बेहद किफायती दरों पर स्वच्छ और स्वादिष्ट भोजन उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे उन्हें घर से दूर भी घर जैसे खाने का अनुभव मिल सकेगा। Didi Ki Rasoi Bihar एक महत्वपूर्ण सरकारी पहल है, जिसका उद्देश्य रोजगार सृजन और पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।
यह परियोजना जीविका समूह से जुड़ी महिलाओं द्वारा संचालित की जाएगी। यह कदम ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करेगा और उनके महिलाओं का सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। जीविका दीदियां अपने हाथों से तैयार पौष्टिक भोजन परोसेंगी, जिससे स्वास्थ्य और स्वच्छता दोनों सुनिश्चित होंगे। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह रसोई कम कीमतों पर उच्च गुणवत्ता वाला भोजन प्रदान करके सरकारी दफ्तरों में एक नई मिसाल कायम करेगी।
अभी तक, अनुमंडल कार्यालयों में आने वाले लोगों को अक्सर खाने की समस्या का सामना करना पड़ता था, लेकिन ‘दीदी की रसोई’ इस समस्या का स्थायी समाधान प्रस्तुत कर रही है। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: https://deshajtimes.com/news/national/
योजना का उद्देश्य और लाभार्थियों को लाभ
इस पहल का मुख्य उद्देश्य न केवल सस्ता और स्वच्छ भोजन उपलब्ध कराना है, बल्कि स्थानीय स्वयं सहायता समूहों को आर्थिक रूप से मजबूत करना भी है। इन रसोईघरों के संचालन से जुड़ी महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी और अपनी आय बढ़ा सकेंगी, जिससे उनके परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। यह एक ऐसी योजना है जो न केवल पेट भरती है, बल्कि कई जिंदगियों को संवारने का काम भी करती है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। उम्मीद है कि यह मॉडल अन्य सरकारी कार्यालयों में भी लागू किया जाएगा, जिससे व्यापक स्तर पर महिलाओं का सशक्तिकरण हो सके।
यह देखना दिलचस्प होगा कि कैसे नए साल में ये रसोईयां बिहार के सरकारी महकमे में एक सकारात्मक बदलाव लाती हैं और आम जनता तथा कर्मचारियों के बीच कितनी लोकप्रिय होती हैं।
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