Magh Mela 2026: माघ मास में प्रयागराज के पावन तट पर आयोजित होने वाला माघ मेला, सनातन धर्म की उन अद्वितीय परंपराओं में से एक है, जो हमें अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ती है और आध्यात्मिक चेतना का संचार करती है। यह केवल एक मेला नहीं, बल्कि आस्था, तप और साधना का एक जीवंत संगम है, जहाँ लाखों श्रद्धालु त्रिवेणी के पवित्र जल में डुबकी लगाकर आत्मशुद्धि और मोक्ष की कामना करते हैं। 2026 में भी यह दिव्य अनुष्ठान एक बार फिर देखने को मिलेगा, जब गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का मिलन स्थल तीर्थराज प्रयाग, श्रद्धा के अथाह सागर में गोता लगाएगा।
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Magh Mela 2026: शाही स्नान और पर्व तिथियाँ
प्रयागराज की पावन भूमि पर हर वर्ष आयोजित होने वाला माघ मेला, भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का एक भव्य प्रदर्शन है। इस दौरान श्रद्धालु एक मास तक गंगा-यमुना-सरस्वती के त्रिवेणी संगम पर निवास कर कल्पवास करते हैं, जो अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। इस पवित्र अवधि में, भक्त संसार के मोह-माया से विरक्त होकर आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर होते हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह मेला कुंभ के लघु रूप में जाना जाता है, जहाँ प्रत्येक स्नान पर्व पर शाही स्नान का विशेष महत्व होता है।
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माघ मेला 2026 की प्रमुख स्नान तिथियाँ
माघ मास 2026 में पड़ने वाले प्रमुख स्नान पर्व निम्नलिखित हैं, जिनका विशेष महत्व माना गया है:
| पर्व का नाम | तिथि (अनुमानित) |
|---|---|
| पौष पूर्णिमा (माघ मेला प्रारंभ) | 13 जनवरी 2026, मंगलवार |
| मकर संक्रांति (प्रथम शाही स्नान) | 14 जनवरी 2026, बुधवार |
| मौनी अमावस्या (मुख्य शाही स्नान) | 28 जनवरी 2026, बुधवार |
| बसंत पंचमी | 02 फरवरी 2026, सोमवार |
| माघी पूर्णिमा | 10 फरवरी 2026, मंगलवार |
| महाशिवरात्रि (माघ मेला समापन) | 24 फरवरी 2026, मंगलवार |
माघ मेले का आध्यात्मिक महत्व
हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार, माघ मास में प्रयागराज के संगम में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पद्म पुराण में कहा गया है कि माघ मास में त्रिवेणी में तीन करोड़ साठ लाख तीर्थों का वास होता है, जो यहां स्नान करने वाले व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति दिलाते हैं। इस अवधि में दान-पुण्य, जप-तप और गंगा स्नान का विशेष फल बताया गया है। कल्पवास का संकल्प लेकर जो श्रद्धालु यहाँ आते हैं, वे लौकिक बंधनों से मुक्त होकर आध्यात्मिक शांति प्राप्त करते हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
स्नान की विधि और अनुष्ठान
माघ मेले में पवित्र संगम स्नान एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इसकी सामान्य विधि इस प्रकार है:
- प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान का संकल्प लें।
- सूर्य देव को अर्घ्य दें और अपने इष्टदेव का स्मरण करें।
- पवित्र संगम में डुबकी लगाते हुए 'हर हर गंगे' का जयघोष करें।
- स्नान के उपरांत स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- सूर्य देव, भगवान विष्णु और माता गंगा की पूजा करें।
- अपनी सामर्थ्य अनुसार गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें।
माघ स्नान से जुड़े मंत्र
स्नान करते समय इन मंत्रों का जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है:
गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति।
नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु॥
यह मंत्र सभी पवित्र नदियों का आह्वान करता है, जिससे स्नान का फल कई गुना बढ़ जाता है।
निष्कर्ष और पुण्य प्राप्ति के उपाय
Magh Mela 2026 एक अवसर है स्वयं को प्रकृति और परमात्मा से जोड़ने का। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। इस पुण्यकाल में संगम स्नान, दान, जप, तप और साधु-संतों की सेवा करके व्यक्ति न केवल अपने वर्तमान जीवन को सुखमय बना सकता है, बल्कि मृत्यु के उपरांत मोक्ष के द्वार भी खोल सकता है। यह एक ऐसा पर्व है जो हमें आध्यात्मिकता की गहराई में गोता लगाने और जीवन के परम सत्य को समझने की प्रेरणा देता है।




