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दिसम्बर, 26, 2025

भारत में Tax Reforms 2025: आम आदमी से लेकर उद्योग जगत तक का नया सवेरा

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Tax Reforms: भारत के वित्तीय परिदृश्य में साल 2025 को एक ऐतिहासिक मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। सरकार ने आयकर, जीएसटी और सीमा शुल्क में दूरगामी सुधारों की एक श्रृंखला शुरू की है, जिसका उद्देश्य देश की अर्थव्यवस्था को नई गति प्रदान करना और आम जनता व व्यापार जगत दोनों के लिए प्रक्रियाओं को सुगम बनाना है।

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भारत में Tax Reforms 2025: आम आदमी से लेकर उद्योग जगत तक का नया सवेरा

साल 2025 भारत के कर प्रणाली के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव का साल साबित हुआ है। केंद्र सरकार ने इस वर्ष आयकर, वस्तु एवं सेवा कर (GST) और सीमा शुल्क (Customs Duty) के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण सुधार लागू किए हैं। इन सुधारों का प्राथमिक लक्ष्य कर अनुपालन को सरल बनाना, करदाताओं पर बोझ कम करना और व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है। ये बदलाव न केवल देश की आर्थिक वृद्धि को गति देंगे बल्कि भारत को वैश्विक स्तर पर एक अधिक आकर्षक निवेश गंतव्य भी बनाएंगे। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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आयकर में बड़े Tax Reforms: मध्य वर्ग को मिली राहत

1 अप्रैल 2025 से लागू होने वाला नया आयकर अधिनियम, 2025, अब दशकों पुराने आयकर अधिनियम, 1961 का स्थान लेगा। इस नए कानून का मुख्य उद्देश्य कर प्रक्रियाओं को आधुनिक बनाना और उन्हें अधिक उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाना है। नए अधिनियम के तहत, करदाताओं को अब जटिल नियमों और कागजी कार्रवाई से मुक्ति मिलेगी, जिससे कर अनुपालन में लगने वाले समय और प्रयासों में उल्लेखनीय कमी आएगी। केंद्रीय बजट 2025 में मध्य वर्ग के लिए एक बड़ी राहत की घोषणा की गई है, जहाँ 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर शून्य कर का प्रावधान किया गया है। इस कदम से लाखों परिवारों की डिस्पोजेबल आय में वृद्धि होगी, जिससे उपभोग में तेजी आने और अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने की उम्मीद है। यह आर्थिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण प्रोत्साहन साबित होगा। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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यह भी पढ़ें:  भारत के अरबपति: 2025 में किसने कमाया और किसने गंवाया?

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GST सरलीकरण और सीमा शुल्क सुधारों पर जोर

वस्तु एवं सेवा कर (GST) के मोर्चे पर भी महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। 22 सितंबर से 375 वस्तुओं पर जीएसटी दरों में कटौती की गई है, जिससे वे उपभोक्ताओं के लिए अधिक किफायती हो गई हैं। इसके साथ ही, जीएसटी स्लैब को भी 5% और 18% के दो मुख्य श्रेणियों में सरल बनाया गया है। इस सरलीकरण से कर विवादों में कमी आने की उम्मीद है और व्यापार करना पहले से कहीं अधिक आसान हो जाएगा। हालांकि, हालिया आंकड़े बताते हैं कि नवंबर माह में GST collection 1.70 लाख करोड़ रुपये रहा है, जो कर संग्रह में लगातार वृद्धि को दर्शाता है। यह दर्शाता है कि अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे मजबूत हो रही है।

अब सरकार का ध्यान सीमा शुल्क सुधारों, फेसलेस असेसमेंट और डिजिटलीकरण पर केंद्रित है। इन उपायों से व्यापार को बढ़ावा मिलेगा और विदेशी निवेश आकर्षित होगा, जिससे भारत की वैश्विक व्यापारिक स्थिति और मजबूत होगी। ये सुधार भारत को एक आधुनिक, कुशल और व्यापार-अनुकूल अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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