Real Estate: भारत के सात प्रमुख शहरों में आवासीय संपत्तियों की बिक्री में वर्ष 2025 के दौरान 14 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जो घर खरीदारों और रियल एस्टेट सेक्टर दोनों के लिए चिंता का विषय है। एक ओर जहां घरों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, वहीं दूसरी ओर सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हुई छंटनियों ने मांग पर सीधा असर डाला है। रियल एस्टेट सलाहकार कंपनी एनारॉक की नवीनतम रिपोर्ट इन बदलावों पर गहराई से प्रकाश डालती है, जो बाजार के जटिल समीकरणों को उजागर करती है।
रियल एस्टेट: आईटी छंटनियों और बढ़ती कीमतों से भारत में आवासीय बिक्री 14% गिरी, फिर भी कुल मूल्य बढ़ा
रियल एस्टेट सेक्टर: बिक्री में गिरावट के बावजूद कुल मूल्य वृद्धि क्यों?
एनारॉक की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2025 में मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर), दिल्ली-एनसीआर, बेंगलुरु, पुणे, कोलकाता, हैदराबाद और चेन्नई जैसे सात प्रमुख शहरों में कुल 3,95,625 घरों की बिक्री हुई, जबकि 2024 में यह आंकड़ा 4,59,645 इकाइयों का था। यह सीधे तौर पर 14 प्रतिशत की गिरावट को दर्शाता है। दिलचस्प बात यह है कि बिक्री इकाइयों में कमी के बावजूद, आवासीय संपत्तियों की ऊंची कीमतों के कारण कुल बिक्री मूल्य में छह प्रतिशत का इजाफा हुआ और यह छह लाख करोड़ रुपये से अधिक पहुंच गया। यह दर्शाता है कि प्रीमियम सेगमेंट में अभी भी मजबूत मांग बनी हुई है, जबकि किफायती और मध्य-आय वर्ग पर दबाव बढ़ा है। बढ़ती आवासीय कीमतें, आईटी सेक्टर में हुई छंटनियां, भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं इस साल आवासीय मांग पर दबाव बनाने वाले प्रमुख कारक रहे हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
सात में से छह प्रमुख शहरों में आवासीय बिक्री में गिरावट देखी गई, जबकि चेन्नई एकमात्र ऐसा शहर रहा जहां बिक्री में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह 22,180 इकाइयों पर पहुंच गई। शहरवार आंकड़ों पर गौर करें तो, मुंबई महानगर क्षेत्र में आवासीय बिक्री 18 प्रतिशत घटकर 1,27,875 इकाइयों पर आ गई। पुणे में बिक्री में 20 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आई और यह 65,135 इकाइयों पर सिमट गई। बेंगलुरु में भी बिक्री पांच प्रतिशत घटकर 62,205 इकाइयों पर रही। दिल्ली-एनसीआर, जो पिछले कुछ वर्षों में एक तेजी से बढ़ता आवासीय बाजार रहा है, वहां घरों की बिक्री आठ प्रतिशत घटकर 57,220 इकाइयों पर पहुंच गई। हैदराबाद में सबसे अधिक 23 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और बिक्री घटकर 44,885 इकाइयों रह गई। कोलकाता में भी बिक्री 12 प्रतिशत कम होकर 16,125 इकाइयों पर आ गई। इस पूरे परिदृश्य में, भारतीय आवासीय बाजार में क्षेत्रीय भिन्नताएं स्पष्ट रूप से दिख रही हैं।
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वैश्विक अनिश्चितताओं और ब्याज दरों का भविष्य
एनारॉक की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 के दौरान सात प्रमुख शहरों में औसत आवासीय कीमतें आठ प्रतिशत बढ़कर 9,260 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गईं, जो पिछले वर्ष के अंत में 8,590 रुपये प्रति वर्ग फुट थीं। एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने बताया कि वर्ष 2025 भू-राजनीतिक उथल-पुथल, आईटी सेक्टर में छंटनी और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं से भरा रहा। हालांकि, इसके बावजूद आवासीय कीमतों में बढ़ोतरी की रफ्तार पिछले वर्षों के दोहरे अंकों से घटकर अब एकल अंक में आ गई है, जो बाजार में कुछ स्थिरता का संकेत है। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले वर्ष में आवासीय रियल एस्टेट सेक्टर का प्रदर्शन काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगा कि भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कितनी कटौती करता है और डेवलपर्स कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए क्या कदम उठाते हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। भारतीय आवासीय बाजार का भविष्य ब्याज दरों और आर्थिक स्थिरता के साथ गहरा जुड़ा हुआ है।


