Bangladesh Political Crisis: गंगा-यमुना की तरह ही बांग्लादेश की राजनीतिक धारा इन दिनों अशांत दिख रही है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होने के बाद, ढाका की गलियों में उम्मीदों के चिराग जलते तो दिखे, लेकिन साथ ही हिंसा और अस्थिरता का धुआँ भी गहराता गया। कानून-व्यवस्था की चुनौती के बीच, एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम ने देश को नए चौराहे पर ला खड़ा किया है।
बांग्लादेश में गहराता Bangladesh Political Crisis: तारिक रहमान की वापसी और हिंसा का तांडव
Bangladesh Political Crisis: तारिक रहमान की वापसी और सियासी तूफान
बांग्लादेश इस समय एक गंभीर राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल के दौर से गुज़र रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद बनी अंतरिम व्यवस्था के लिए कानून-व्यवस्था एक बड़ी चुनौती बन गई है। हालात सुधरने के बजाय लगातार बिगड़ते जा रहे हैं, जिससे पूरे देश में अनिश्चितता का माहौल है।
इसी बीच, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान 17 साल के निर्वासन के बाद वतन लौट आए हैं। उनकी यह वापसी आगामी आम चुनावों से पहले एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मोड़ मानी जा रही है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। हालांकि, यह ऐसे समय में हुई है जब देश में हिंसा, विरोध प्रदर्शन और अल्पसंख्यकों पर हमले की घटनाएं चरम पर हैं।
हाल ही में हिंदू समुदाय के दो व्यक्तियों, दीपु चंद्र दास और अमृत मंडल की भीड़ द्वारा बेरहमी से हत्या कर दी गई, जिसने देश भर में आक्रोश भर दिया। इन दर्दनाक घटनाओं के बाद भारत में भी विरोध की आग तेज हो गई है। विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे संगठनों ने कई शहरों में प्रदर्शन किए हैं, जबकि विभिन्न राजनीतिक दलों ने केंद्र सरकार से इस मामले पर कड़ा रुख अपनाने की मांग की है। यह अल्पसंख्यक हिंसा एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है।
बढ़ती अंतरराष्ट्रीय चिंता और भारत का रुख
बांग्लादेश में बिगड़ती कानून-व्यवस्था को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता बढ़ गई है। संयुक्त राष्ट्र ने वहां हो रही हिंसा पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करने की अपील की है। वहीं, भारत के विदेश मंत्रालय ने भी अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है और हालात पर बारीकी से नज़र बनाए रखने की बात कही है।
ढाका और अन्य प्रमुख शहरों में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला थम नहीं रहा है। छात्र संगठन, सामाजिक समूह और विभिन्न मंच न्याय की मांग को लेकर सड़कों पर उतर रहे हैं। कई स्थानों पर तोड़फोड़ और झड़पों की भी खबरें हैं, जिसने स्थिति को और तनावपूर्ण बना दिया है। पुलिस ने कई मामलों में गिरफ्तारियां की हैं, लेकिन तनाव पूरी तरह से कम नहीं हुआ है और शांति बहाली एक चुनौती बनी हुई है। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तारिक रहमान की वापसी ने बीएनपी समर्थकों में नया उत्साह भर दिया है, लेकिन इससे सियासी ध्रुवीकरण भी तेज हुआ है। आगामी चुनावों से पहले हालात किस करवट बैठेंगे, इस पर न केवल बांग्लादेश, बल्कि पूरे क्षेत्रीय और वैश्विक समुदाय की निगाहें टिकी हुई हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
बांग्लादेश का अनिश्चित भविष्य
फिलहाल, बांग्लादेश एक ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है, जहां स्थिरता, सुरक्षा और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को लेकर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। आने वाले दिन इस देश के भविष्य की दिशा तय करेंगे, और यह देखना होगा कि यह राष्ट्र कैसे इन चुनौतियों का सामना करता है।



