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दिसम्बर, 27, 2025

Rohtasgarh Ropeway: ट्रायल में ही भरभरा कर गिरा रोहतासगढ़ रोपवे, रोहतास के पर्यटन को लगा बड़ा झटका

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Rohtasgarh Ropeway: बिहार के रोहतास जिले में पर्यटन को पंख लगाने की उम्मीदों पर उस वक्त पानी फिर गया, जब रोहतासगढ़ किला रोपवे परियोजना का ढांचा ट्रायल के दौरान ही धराशाई हो गया। सपनों का महल ताश के पत्तों की तरह ढह गया। यह घटना कैमूर पहाड़ी पर स्थित ऐतिहासिक रोहतासगढ़ किले तक पर्यटकों की आसान पहुंच बनाने के महत्वाकांक्षी सपने को एक बड़ा झटका है।

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इस परियोजना का ट्रायल चल रहा था और इसी दौरान अचानक पूरा ढांचा भरभरा कर गिर गया। गनीमत रही कि इस दुर्घटना में किसी बड़े जानमाल का नुकसान नहीं हुआ, क्योंकि उस समय वहां कोई पर्यटक या कर्मचारी मौजूद नहीं था। हालांकि, इस घटना ने रोपवे के निर्माण में बरती गई गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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Rohtasgarh Ropeway: सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल

यह परियोजना बिहार पर्यटन के लिए एक मील का पत्थर साबित होने वाली थी। रोहतासगढ़ किले की दुर्गम पहुंच के कारण यहां पर्यटकों की संख्या कम रहती थी, लेकिन रोपवे के जरिए इस ऐतिहासिक स्थल को मुख्यधारा से जोड़ने का सपना देखा गया था। दुर्घटना के बाद अब परियोजना के भविष्य पर अनिश्चितता के बादल छा गए हैं, और संबंधित अधिकारियों की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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स्थानीय लोगों और पर्यटन विशेषज्ञों ने इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि करोड़ों रुपये की लागत से बन रही किसी भी परियोजना में ऐसी लापरवाही स्वीकार्य नहीं है। खासकर जब बात सार्वजनिक सुरक्षा और ऐतिहासिक महत्व के स्थलों से जुड़ी हो। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

कैसे हुई रोपवे दुर्घटना?

प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, तकनीकी खामियों और घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल इस रोपवे दुर्घटना का मुख्य कारण हो सकता है। अधिकारियों ने हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि परियोजना के शुरुआती चरण से ही गुणवत्ता को लेकर चिंताएं जताई जा रही थीं। ठेकेदार और निर्माण कंपनी पर अब सबकी नजरें हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

जांच और भविष्य की चुनौतियाँ

इस हादसे ने रोहतास जिले में पर्यटन विकास की योजनाओं को गहरा धक्का पहुंचाया है। सरकार की तरफ से अब इस परियोजना को लेकर क्या कदम उठाए जाएंगे, यह देखना बाकी है। क्या इसे फिर से नए सिरे से बनाया जाएगा या फिर यह महत्वाकांक्षी योजना अधर में लटक जाएगी? यह सवाल स्थानीय लोगों और पर्यटकों के मन में बना हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाओं से सबक लेना चाहिए और भविष्य में ऐसी परियोजनाओं की सुरक्षा ऑडिट और गुणवत्ता नियंत्रण को और सख्त किया जाना चाहिए। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग भी जोर पकड़ रही है ताकि भविष्य में ऐसी किसी भी तरह की लापरवाही को रोका जा सके। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि विकास परियोजनाओं में सुरक्षा को सर्वोपरि रखा जाए। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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