Premanand Ji Maharaj: इस ब्रह्मांड में जीवन और मृत्यु शाश्वत सत्य हैं, परंतु अकाल मृत्यु का रहस्य सदैव से ही मानव जिज्ञासा का विषय रहा है। क्या यह भाग्य का लिखा है या हमारे कर्मों का प्रतिफल?
# प्रेमानंद जी महाराज: अकाल मृत्यु के गूढ़ रहस्यों का अनावरण
## प्रेमानंद जी महाराज के दिव्य वचन: अकाल मृत्यु का सत्य
इस ब्रह्मांड में जीवन और मृत्यु शाश्वत सत्य हैं, परंतु अकाल मृत्यु का रहस्य सदैव से ही मानव जिज्ञासा का विषय रहा है। क्या यह भाग्य का लिखा है या हमारे कर्मों का प्रतिफल? प्रेमानंद जी महाराज: इस गहन विषय पर अपने आध्यात्मिक विचारों से हमें आलोकित करते हैं। अक्सर लोग यह मानते हैं कि मृत्यु का समय और स्वरूप ईश्वर द्वारा पूर्व निर्धारित होता है, जिसमें कोई परिवर्तन संभव नहीं। परंतु, परम पूज्य श्री प्रेमानंद जी महाराज इस धारणा पर एक नया प्रकाश डालते हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। वे कहते हैं कि अकाल मृत्यु, जिसे समय से पहले होने वाली मृत्यु कहा जाता है, केवल विधि का विधान ही नहीं, अपितु व्यक्ति के अपने कर्मों का सूक्ष्म लेखा-जोखा भी है। महाराज श्री के अनुसार, मनुष्य के जीवन में होने वाली प्रत्येक घटना, विशेषकर मृत्यु, उसके पूर्व जन्मों और इस जन्म के ‘कर्म फल’ का ही परिणाम है। यह केवल एक आकस्मिक घटना नहीं, बल्कि गहरे आध्यात्मिक सिद्धांतों से जुड़ी हुई है। हमारे संचित, प्रारब्ध और क्रियमाण कर्म ही हमारे जीवन के पथ का निर्माण करते हैं, और इसमें मृत्यु का समय भी सम्मिलित है। वे समझाते हैं कि जिन व्यक्तियों के कर्म इतने प्रबल होते हैं कि वे निर्धारित आयु से पूर्व ही जीवन लीला समाप्त कर देते हैं, यह उनके ‘कर्म फल’ की ही पराकाष्ठा है। यह कोई ईश्वरीय दोष नहीं, बल्कि स्वयं के कृत्यों का प्रतिफल है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। इस दिव्य ज्ञान को ग्रहण कर हम अपने जीवन को अधिक सार्थक बना सकते हैं।
महाराज श्री प्रेमानंद जी के ये वचन हमें कर्मों की महत्ता और उनके परिणामों की गंभीरता का बोध कराते हैं। यह हमें सिखाते हैं कि हम अपने वर्तमान कर्मों के प्रति सचेत रहें, क्योंकि यही हमारे भविष्य और हमारी अंतिम यात्रा की दिशा तय करते हैं। अतः, आइए हम सभी सद्कर्मों की ओर प्रवृत्त हों और आध्यात्मिक ज्ञान के इस आलोक में अपने जीवन को प्रकाशित करें। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
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