Congress CWC Meeting: दिल्ली की सियासी चौपाल में जब कांग्रेस के दिग्गज जुटे, तो यह सिर्फ एक बैठक नहीं, बल्कि पार्टी के भविष्य की रणनीति और अंदरूनी चुनौतियों की कसौटी थी। सोनिया, राहुल, खड़गे समेत तमाम बड़े नेता एक छत के नीचे जुटे, संदेश साफ था – एकजुटता का।
कांग्रेस CWC Meeting: अध्यक्ष खड़गे की अध्यक्षता में अहम बैठक
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) मुख्यालय, इंदिरा भवन, शनिवार को कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का साक्षी बना। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रतिष्ठित कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक की अध्यक्षता की। इस महत्वपूर्ण अवसर पर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित कई वरिष्ठ नेता उपस्थित थे। बैठक में कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत, पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद, सांसद राजीव शुक्ला और सांसद अभिषेक मनु सिंहवी जैसे प्रमुख चेहरे भी शामिल थे।
बैठक का एजेंडा भले ही स्पष्ट रहा हो, लेकिन इसके समानांतर कई अंदरूनी समीकरण भी चर्चा में रहे। विशेष रूप से कर्नाटक की राजनीति से जुड़ी अटकलों ने सियासी गलियारों में खूब सुर्खियां बटोरीं। राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की संभावनाओं के बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की उपस्थिति ने कई सवाल खड़े किए। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। दरअसल, उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार 2023 के विधानसभा चुनाव के बाद हुए ढाई साल के नेतृत्व परिवर्तन समझौते को पूरा करने पर अड़े हुए हैं। हालांकि, आश्चर्यजनक रूप से डीके शिवकुमार को समिति की इस बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया था। उन्होंने इससे पहले कहा था, “मुझे पता है कि दो-तीन मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित किया गया है। लेकिन उपमुख्यमंत्री को आमंत्रित नहीं किया गया है।” यह घटनाक्रम कांग्रेस नेतृत्व के भीतर चल रहे शक्ति संतुलन को दर्शाता है।
बैठक में पार्टी के भीतर चल रही विभिन्न गतिविधियों पर भी गौर किया गया। कांग्रेस सांसद शशि थरूर भी पार्टी के साथ अपने उतार-चढ़ाव भरे संबंधों के बावजूद इस महत्वपूर्ण बैठक में उपस्थित थे। हाल के दिनों में, थरूर कांग्रेस की बैठकों में अपनी अनुपस्थिति और एक व्याख्यान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण की प्रशंसा करने के कारण सुर्खियों में रहे थे। विदेश में व्यस्तता के कारण उन्होंने दिल्ली के रामलीला मैदान में कांग्रेस की ‘वोट चोर गद्दी छोड़’ रैली में भाग नहीं लिया था। साथ ही, वे लोकसभा विपक्ष के नेता राहुल गांधी की अध्यक्षता में हुई कांग्रेस सांसदों की बैठक में भी अनुपस्थित रहे थे।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री की मौजूदगी और थरूर की भूमिका पर चर्चा
पार्टी सूत्रों के अनुसार, थरूर ने अपनी अनुपलब्धता के बारे में पार्टी को पहले ही सूचित कर दिया था। चंडीगढ़ से सांसद और एक अन्य वरिष्ठ कांग्रेस नेता मनीष तिवारी भी इस बैठक में शामिल नहीं हुए। शशि थरूर की टाइमलाइन के अनुसार, वे कोलकाता में प्रभा खैतान फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में थे। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। इस बीच, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सीआर केशवन ने कांग्रेस से सवाल उठाया कि क्या पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की विफलता और उनके “विनाशकारी वोट चोरी अभियान” के लिए उन्हें जवाबदेह ठहराएगी। यह टिप्पणी मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में कांग्रेस की चुनौतियों को और बढ़ाती है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। इस बैठक के माध्यम से पार्टी ने आगामी चुनौतियों और संगठनात्मक सुधारों पर गहन विचार-विमर्श किया, जो आने वाले समय में कांग्रेस नेतृत्व की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।


