MGNREGA Scheme: जैसे रेत से फिसलती मुट्ठी, वैसे ही सरकार के हाथों से छूटती दिख रही है ग्रामीण भारत की संजीवनी! कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को निरस्त किए जाने के खिलाफ एक सशक्त राष्ट्रीय अभियान चलाने का आह्वान किया है। यह अधिनियम यूपीए सरकार का एक महत्वपूर्ण कानून था जिसने ग्रामीण रोजगार को एक नई दिशा दी थी। खरगे ने इस स्थिति की तुलना सरकार की पिछली कार्रवाइयों से की, जैसे कि जनता के भारी आक्रोश के बाद कृषि कानून निरस्त किए गए थे।
MGNREGA Scheme: मोदी सरकार पर खरगे का बड़ा आरोप, मनरेगा को ख़त्म कर रही है सरकार
MGNREGA Scheme: ग्रामीण भारत की रीढ़ पर हमला!
कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक को संबोधित करते हुए, कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों की कड़ी निंदा की और कहा कि यह पूरे भारत के लिए चिंता का विषय है। खरगे ने पार्टी नेताओं से आगामी विधानसभा चुनावों के लिए कमर कसने का आह्वान किया और चेतावनी दी कि विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) लोकतांत्रिक अधिकारों को सीमित करने की एक सोची समझी साजिश है। उन्होंने जोर दिया कि यह सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए कि कांग्रेस के मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से न काटे जाएं। बैठक में खरगे ने कहा, “हम आज ऐसे मौके पर विचार और भविष्य की रणनीति बनाने के लिए एकत्र हुए हैं, जब देश में लोकतंत्र, संविधान और नागरिकों के अधिकारों पर चारों तरफ गंभीर संकट छाया है।” आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि हाल ही में संसद के शीतकालीन सत्र में मोदी सरकार ने मनरेगा को समाप्त कर करोड़ों गरीबों और कमजोर तबके के लोगों को बेसहारा कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह गरीबों के पेट पर लात मारने के साथ उनकी पीठ में मोदी सरकार द्वारा छुरा घोंपा गया है। मोदी सरकार ने काम के अधिकार पर सुनियोजित और क्रूर हमला किया है। खरगे का कहना था कि मोदी सरकार को गरीबों की चिंता नहीं, बल्कि चंद बड़े पूंजीपतियों के मुनाफ़े की ही चिंता है। उनका मानना था कि मनरेगा संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार का ऐसा दूरदर्शी कदम था, जिसे पूरे विश्व ने सराहा था। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
मनरेगा: ग्रामीण जीवन का संजीवनी बूटी
वरिष्ठ नेता ने इस बात पर जोर दिया कि इस योजना ने ग्रामीण भारत का चेहरा बदल दिया था। यह विश्व का सबसे बड़ा ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम बना, जिसने पलायन को रोका और गांवों को अकाल, भूख, और शोषण से मुक्ति दिलाई। इस योजना ने दलितों, आदिवासियों, महिलाओं और भूमिहीन मज़दूरों को यह भरोसा दिया कि गरीबी से जंग में सरकार उनके साथ खड़ी है। खरगे ने दावा किया कि मोदी सरकार ने बिना किसी अध्ययन या मूल्यांकन के, राज्यों से या राजनीतिक दलों से सलाह-मशविरा के बिना इस MGNREGA Scheme को खत्म करके नया कानून थोप दिया। उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम की तुलना तीन काले कृषि कानूनों को लागू करने के तरीके से की। यह एक ऐसा कदम था जिससे लाखों ग्रामीण रोजगार के अवसर प्रभावित हुए हैं।


