Warren Buffett Retirement: निवेश जगत के बेताज बादशाह, ‘ओमाहा के ओरेकल’ वॉरेन बफे का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं। उनकी निवेश रणनीति और असाधारण दूरदर्शिता ने बर्कशायर हैथवे को दुनिया की सबसे प्रभावशाली कंपनियों में से एक बना दिया। अब छह दशकों के अथक परिश्रम और सफल नेतृत्व के बाद, 31 दिसंबर 2025 को वह बर्कशायर हैथवे के सीईओ पद से सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं, जो वैश्विक वित्तीय बाजारों में एक नए युग की शुरुआत का संकेत है। उनके इस निर्णय से न सिर्फ कंपनी बल्कि पूरे निवेश समुदाय में गहन चर्चाएं छिड़ गई हैं कि आखिर ‘ऑरेकल’ की विरासत को कौन संभालेगा और उनकी अनुपस्थिति में निवेश जगत की दिशा क्या होगी।
वॉरेन बफे रिटायरमेंट: एक युग का अंत, नई शुरुआत का आगाज़
वॉरेन बफे रिटायरमेंट: बर्कशायर हैथवे का भविष्य
वॉरेन बफे के सेवानिवृत्त होने के बाद, 1 जनवरी, 2026 से बर्कशायर हैथवे की कमान वाइस प्रेसिडेंट ग्रेग एबल संभालेंगे। वे अगले साल होने वाली शेयरहोल्डर्स की वार्षिक मीटिंग की अध्यक्षता भी करेंगे। बफे ने अपनी सादगी, नैतिक मूल्यों और अविश्वसनीय निवेश फैसलों से दुनिया भर के निवेशकों को प्रेरित किया है। उनकी पहचान केवल एक सफल उद्यमी के रूप में नहीं, बल्कि एक ऐसे मार्गदर्शक के रूप में भी है जिन्होंने पीढ़ियों को धैर्य और विवेकपूर्ण निवेश रणनीति का महत्व सिखाया।
पिछले छह दशकों में, बफे ने बर्कशायर हैथवे को एक कपड़ा मिल से एक विशाल निवेश होल्डिंग कंपनी में बदल दिया है, जिसके पोर्टफोलियो में दर्जनों विविध कंपनियां शामिल हैं। उनकी हर चाल और हर निर्णय को वॉल स्ट्रीट से लेकर छोटे निवेशक तक बारीकी से देखते रहे हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। उनकी विरासत सिर्फ वित्तीय लाभ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उन सिद्धांतों पर आधारित है जिन्होंने सही कंपनियों की पहचान करने और उनमें दीर्घकालिक विश्वास रखने पर जोर दिया।
वॉरेन बफे का निवेश दर्शन बेहद सरल लेकिन गहरा रहा है। वे हमेशा से कहते आए हैं कि अच्छी कंपनियों को पहचानो, उनकी टीम मजबूत हो, और फिर उनमें निवेश करके धैर्य रखो। उनका मानना है कि कंपनी को अपना काम करने देना चाहिए और उसमें बेवजह दखल नहीं देना चाहिए। बस सही बिजनेस का चुनाव करना चाहिए और इसे पर्याप्त समय देना ही सफलता की कुंजी है।
बफे का सफलता का मंत्र और उनकी परोपकारिता
बफे का जीवन दर्शन भी उनके निवेश दर्शन जितना ही प्रेरक है। उनका मानना है कि जिंदगी में वही काम करना चाहिए जिसमें हर दिन खुशी मिले। उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों से सीखा है कि 13 साल की उम्र में अखबार बांटने से लेकर आज तक, उन्हें अपने काम में हमेशा आनंद मिला है। यह सोच गलत है कि खुशी भविष्य में पैसा या सफलता मिलने के बाद ही मिलेगी; असली आनंद तो उस काम में है जो आप आज कर रहे हैं। वे हमेशा इसी सिद्धांत पर चलते आए हैं।
हाल ही में, वॉरेन बफे ने अपनी कंपनी के लगभग 1.3 बिलियन डॉलर के शेयर विभिन्न फाउंडेशनों को दान कर दिए हैं। उनका दृढ़ विश्वास है कि पैसा और ताकत ही असली सफलता नहीं होती। उनके लिए दयालुता, जो मुफ्त है लेकिन अनमोल, सबसे बड़ा धन है। उनकी यह उदारता दर्शाती है कि वित्तीय सफलता के साथ-साथ मानवीय मूल्यों का महत्व भी उतना ही अधिक है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। रियल-टाइम बिजनेस – टेक्नोलॉजी खबरों के लिए यहां क्लिक करें। बफे की सेवानिवृत्ति भले ही एक युग का अंत हो, लेकिन उनकी शिक्षाएं और सिद्धांत आने वाली पीढ़ियों के लिए हमेशा प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे।

