SIP Investment: भारतीय निवेशकों का नजरिया अब साफ़ है; वे बड़े जोखिम लेने के बजाय अनुशासित निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं, खासकर बाजार की अनिश्चितता के बीच। 2025 में, म्यूचुअल फंड एसआईपी (SIP) निवेश ने पहली बार ₹3 ट्रिलियन का महत्वपूर्ण आंकड़ा पार किया है, जो निवेशकों की मानसिकता में एक मजबूत संरचनात्मक बदलाव का स्पष्ट संकेत है।
SIP Investment: 2025 में ₹3 ट्रिलियन का ऐतिहासिक आंकड़ा पार, क्यों बदल रहा है भारतीय निवेशकों का मन?
SIP Investment क्यों बन रहा है भारतीय निवेशकों की पहली पसंद?
बाजार की अत्यधिक अस्थिरता वाले माहौल में, SIP निवेशकों को रुपये की लागत औसत (rupee cost averaging) और जोखिम औसत (risk averaging) का जबरदस्त फायदा मिलता है। इसके विपरीत, एकमुश्त निवेश (lump-sum investments) को लेकर निवेशकों में हिचकिचाहट बढ़ी है, जो एक सतर्क दृष्टिकोण को दर्शाता है। डेटा स्पष्ट रूप से दिखाता है कि सक्रिय इक्विटी फंडों में SIP योगदान लगातार बढ़ रहा है, यह दर्शाता है कि निवेशक अब लंबी अवधि की स्थिरता और व्यवस्थित धन सृजन पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। SIP-आधारित एयूएम (AUM) अब म्यूचुअल फंड उद्योग के कुल एयूएम का एक बड़ा हिस्सा बन चुका है, जो इसकी बढ़ती स्वीकार्यता और महत्व को रेखांकित करता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
SIP अब केवल एक निवेश विकल्प मात्र नहीं रह गया है, बल्कि यह भारत की एक प्रमुख धन सृजन आदत बन चुका है। निवेशक अब बाजार के उतार-चढ़ाव से घबराने के बजाय, नियमित रूप से छोटे-छोटे निवेश करके अपने पोर्टफोलियो को मजबूत कर रहे हैं। इस बदलाव से भारतीय पूंजी बाजार में एक नई स्थिरता और परिपक्वता आई है।
बाजार की अस्थिरता में SIP का महत्व
मौजूदा आर्थिक परिदृश्य में, जहां वैश्विक और घरेलू कारक लगातार बाजार को प्रभावित कर रहे हैं, SIP एक ढाल के रूप में काम करता है। यह निवेशकों को बाजार के उच्च स्तर पर कम यूनिट्स खरीदने और निचले स्तर पर अधिक यूनिट्स खरीदने में सक्षम बनाता है, जिससे लंबी अवधि में निवेश की औसत लागत कम हो जाती है। यह रणनीति विशेष रूप से उन छोटे और मध्यम वर्ग के निवेशकों के लिए फायदेमंद है जो बाजार की चाल को समय पर भांपने में असमर्थ होते हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। रियल-टाइम बिजनेस – टेक्नोलॉजी खबरों के लिए यहां क्लिक करें। यह अनुशासित तरीका न केवल जोखिम को कम करता है, बल्कि चक्रवृद्धि ब्याज (compounding) के लाभ से धन को तेजी से बढ़ने में भी मदद करता है। SIP की बढ़ती लोकप्रियता भारतीय निवेशकों के वित्तीय साक्षरता और परिपक्वता का भी प्रतीक है, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है। यह एक ऐसा चलन है जो आने वाले समय में भी भारतीय शेयर बाजारों को मजबूती प्रदान करेगा। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।




