Bihar Politics: बिहार की सियासत में इन दिनों कुछ ऐसी हलचल है, मानो कोई शांत नदी अचानक तेज धार में बदल गई हो। यह बदलाव कोई और नहीं, बल्कि उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा की सक्रिय और निर्णायक कार्यशैली का परिणाम है, जिन्होंने राज्य के राजनीतिक और प्रशासनिक तंत्र में एक नई सख्ती का संचार कर दिया है। तीन अहम विभागों की जिम्मेदारी संभाल रहे विजय सिन्हा ने यह साफ कर दिया है कि अब लापरवाही और टालमटोल की कोई जगह नहीं होगी, और इसका असर सीधे जमीन पर दिखना शुरू हो गया है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। उनके आने के बाद से ही विभागों में बैठकों का दौर तेज हुआ है और अधिकारी भी पहले से ज्यादा चौकस नजर आ रहे हैं।
Bihar Politics में सिन्हा का कड़ा रुख: तीन विभागों की जिम्मेदारी और नया तेवर
उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा के पास सड़क निर्माण, खनन और कला-संस्कृति एवं युवा विभाग जैसे महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो हैं। इन सभी क्षेत्रों में उन्होंने अपनी छाप छोड़ना शुरू कर दिया है। खनन विभाग में अवैध खनन और परिवहन पर शिकंजा कसने के लिए उन्होंने सख्त निर्देश जारी किए हैं। वहीं, सड़क निर्माण विभाग में परियोजनाओं की धीमी गति पर उन्होंने नाराजगी जताई है और समय पर काम पूरा करने के लिए स्पष्ट डेडलाइन तय की है। उनका मानना है कि विकास परियोजनाओं में देरी से जनता को सीधे तौर पर नुकसान होता है और यह सुशासन के सिद्धांत के खिलाफ है।
सिन्हा के इस सख्त रवैये से अधिकारियों में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है, लेकिन कुछ पुराने ढर्रे पर चल रहे अधिकारियों को यह बदलाव रास नहीं आ रहा है। वे जानते हैं कि अब कामचोरी नहीं चलेगी और हर फैसले के लिए जवाबदेह होना पड़ेगा। राजनीतिक गलियारों में भी उनके फैसलों की चर्चा है, जहां कुछ लोग इसे एक मजबूत नेतृत्व की निशानी बता रहे हैं, तो कुछ इसे अनावश्यक सख्ती मान रहे हैं। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। हालांकि, जनता के बीच उनकी छवि एक ऐसे नेता की बन रही है जो सिर्फ बातें नहीं, बल्कि काम करने में विश्वास रखता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
प्रशासनिक चुस्ती का नया मॉडल: जनता से सीधा संवाद और जवाबदेही
विजय सिन्हा केवल फाइलों में ही नहीं उलझे रहते, बल्कि वे लगातार फील्ड विजिट कर जमीनी हकीकत का जायजा लेते हैं। जनता से सीधा संवाद स्थापित कर उनकी समस्याओं को सुनना और त्वरित समाधान खोजना उनकी कार्यशैली का अहम हिस्सा बन गया है। यह तरीका न केवल पारदर्शिता बढ़ाता है, बल्कि अधिकारियों की जवाबदेही भी सुनिश्चित करता है। उनका जोर इस बात पर है कि योजनाएं सिर्फ कागजों पर न रहें, बल्कि उनका लाभ आम लोगों तक पहुंचे।
आने वाले समय में बिहार की प्रशासनिक व्यवस्था में और भी बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं, क्योंकि विजय सिन्हा ने अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है कि वे बिहार को एक नई दिशा देना चाहते हैं, जहां विकास की गति तेज हो और भ्रष्टाचार पर पूरी तरह से लगाम लगे। उनकी यह पहल कितनी सफल होती है, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन इतना तय है कि बिहार की राजनीति और प्रशासन अब पहले जैसा नहीं रहेगा। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।




