Ganga Water Project: सूखी धरती की प्यास बुझाने, बंजर खेतों में हरियाली का रंग घोलने, गंगा अब पहाड़ों से उतरकर बांका के मैदानों में दस्तक दे रही है। बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी गंगा जल उद्वह योजना अब धरातल पर उतर रही है, जो सिर्फ कल्पना नहीं, बल्कि एक हकीकत बनती दिख रही है।
Ganga Water Project: बांका की धरती पर गंगा का अभिषेक, सिंचाई संकट का होगा समाधान!
Ganga Water Project: 1800 करोड़ की योजना से बदल रही तस्वीर
Ganga Water Project: बांका की पवित्र भूमि पर गंगा का जल अब केवल धार्मिक महत्व ही नहीं रखेगा, बल्कि खेतों की प्यास बुझाकर उनकी उपज को भी कई गुना बढ़ाएगा। यह ऐतिहासिक पल बिहार के लिए एक नई सुबह का संकेत है, जहाँ दशकों से सिंचाई के अभाव में जूझ रहे लाखों किसानों को अब एक नया संबल मिलेगा। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार सरकार ने जब इस 1800 करोड़ रुपये की गंगा जल उद्वह योजना की घोषणा की थी, तब इसे महज एक चुनावी वादा मानकर खारिज कर दिया गया था। किंतु, चुनाव संपन्न होते ही बदुआ डैम के समीप और बिजीखरबा सिंचाई कार्यालय के पास पिछले पंद्रह दिनों से युद्धस्तर पर जारी कार्य ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह योजना केवल कागजों पर नहीं, बल्कि वास्तव में जमीन पर उतर रही है।
इस महात्वाकांक्षी परियोजना के तहत अजगैवीनाथ धाम से बेलहर के बदुआ हनुमाना डैम तक 56 किलोमीटर लंबी, चार से पांच फीट व्यास वाली मजबूत स्टील पाइपलाइन बिछाई जा रही है। गंगा के पवित्र जल को संग्रहित करने के लिए बिज्जीखरबा सिंचाई प्रमंडल परिसर में 10 फीट गहरे और 34 हजार वर्ग मीटर क्षेत्रफल के एक विशाल तालाब का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। इस तालाब की आरसीसी ढलाई की जाएगी, जिसके बाद लिफ्ट सिस्टम के माध्यम से फिल्टर किया हुआ गंगाजल बदुआ डैम तक पहुंचाया जाएगा। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
इतना ही नहीं, यह योजना मुंगेर और भागलपुर के खेतों को भी लाभ पहुंचाएगी। तारापुर में भी गंगाजल संग्रहित किया जाएगा, जहाँ से 25 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाकर हवेली खड़गपुर के डैम तक जल पहुंचाया जाएगा। इसके अतिरिक्त, बेलहर के बेलहरना और फुल्लीडुमर प्रखंड क्षेत्र के कोझी डैम तक भी गंगाजल पहुंचाने की विस्तृत योजना है। इन प्रयासों से हजारों एकड़ भूमि को सिंचाई के संकट से स्थाई मुक्ति मिल सकेगी, जिससे स्थानीय किसानों की आर्थिक स्थिति में अभूतपूर्व सुधार होगा। इस परियोजना के सफल क्रियान्वयन से कृषि क्षेत्र में एक क्रांति आएगी, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
सिंचाई क्षमता में वृद्धि और कृषि क्षेत्र को लाभ
बदुआ हनुमाना डैम से वर्तमान में लगभग 48 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है, लेकिन 422 फीट से नीचे जलस्तर जाने पर यह डैम मृतप्राय हो जाता है। बेलहर और शंभूगंज प्रखंड क्षेत्र की 22195 हेक्टेयर भूमि तथा मुंगेर जिले के संग्रामपुर और तारापुर प्रखंड क्षेत्र की लगभग 23 हजार हेक्टेयर भूमि इसी डैम पर निर्भर है। जब जलस्तर 370 फीट तक पहुंच जाता है, तब सिंचाई संभव नहीं हो पाती और डैम लगभग निष्क्रिय हो जाता है। बदुआ डैम का पूर्वी कैनाल पश्चिमी कैनाल की तुलना में 20 फीट ऊंचा है, जो जल वितरण में एक चुनौती पेश करता है। देशज टाइम्स बिहार का N0.1, आपके लिए लेकर आया है यह खास रिपोर्ट।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी विकास यात्रा के दौरान तिलकपुर स्थित डैम का निरीक्षण कर ‘डक्ट स्कीम’ के तहत सिंचाई संकट दूर करने की घोषणा की थी, लेकिन वह योजना धरातल पर नहीं उतर पाई थी। अब गंगाजल को सीधे डैम तक पहुंचाकर कृषि क्षेत्र की आय को दोगुना करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। निकट भविष्य में कृषि क्षेत्र को सिंचाई संकट जैसी गंभीर समस्या से जूझना नहीं पड़ेगा।
इस महत्वाकांक्षी परियोजना को 2026 के अंत तक पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। निर्माण कार्य तेजी से जारी है, जिसमें तालाब की खोदाई और पाइपलाइन बिछाने का काम शामिल है। अधिकारियों को विश्वास है कि यह योजना निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरी हो जाएगी, जिससे बिहार के कृषि परिदृश्य में एक युगांतकारी परिवर्तन आएगा।




